शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

लोकतंत्र के लिये लोकसभा का बचना जरुरी


लोकतंत्र के लिये लोकसभा का बचना जरुरी 

आजकल देश की सर्वोच्च संस्था लोक सभा में राजनीतिक पार्टियों द्वारा राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा जा रहा है राज्य सभा सदस्य चुनने का आधार क्या है इसका कोई मानक न होना लोकतंत्र का गला घोंटकर आम जनमानस के साथ छलावा है| उत्तरप्रदेश में जनता द्वारा पूर्णरूप से बी.एस.पी. को नकारे जाने के बावजूद बसपा सुप्रीमों का राज्य सभा जाना जिसका प्रमाण है| उत्तराखंड में अभी हुए विधानसभा चुनाव में विधायक प्रतियाशी श्री मयुख सिंह माहरा को जनता द्वारा नकारे जाने के बावजूद विधानसभा चुनाव में हारने के बाद भी उन्हें राज्यसभा सांसद बनाना एक प्रकार से लोकतंत्र की गला घोंटने के समान ही है और जनता के मुँह पर भ्रष्टाचारियों का तमाचा है जो दर्शाता है की उन से ऊपर कोई नहीं है क्या यही लोकतंत्र है ? लोकतंत्र की परिभाषा शायद राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों को सीखने की आवश्यकता है जिस प्रकार से प्राइमरी स्कूल में हर दिन राष्ट्रगान होता था और प्रतिज्ञा ली जाती थी कि मैं भारतवासी हूँ, सभी भारतवासी मेरे भाई-बहन हैं..... ठीक उसी प्रकार हमारे देश के नेताओं और उनको सलाह देने वाले ब्यूरोक्रेट्स को हर दिन उनके कर्तब्यों के पाठ पढ़ाने कि सख्त जरुरत है| राज्यसभा सांसद का चयन होने के लिये लोकतंत्र का पूरा ज्ञान होना अनिवार्य होना चाहिए देश का सर्वोच्च सदन जहाँ आर्थिक, कूटनीतिक देश से जुड़े अहम फैसले होने हैं जहाँ देश के भविष्य के लिये कानून पास किये जाते हैं ऐसी संस्था के सदस्य निष्ठावान, देशप्रेमी, ईमानदार, प्रतिबद्ध, समाज से प्रेम करने वाला, राष्ट्रीय एवं अंतरास्ट्रीय परिवेश की पूर्ण जानकारी रखने वाला, नीतिगत फैसले लेने वाला ब्यक्ति ही होना चाहिए| देश के सर्वोच्च सदन को ब्यापार खाना या कोई फैशन रैम्प न बनाया जाए जहाँ आप क्रिकेटरों, फ़िल्मी सितारों, उधोगपतिओं, माफियाओं आदि को भरकर वाहवाही लूटें और अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिये देश को अंधेरे की ओर धकेल दें इस देश पर हर देशवासी का उतना ही अधिकार है जितना एक सांसद का होता है| अभी-अभी सचिन तेंदुलकर और रेखा को राज्य सभा सांसद बनाया गया| आम जनता के लिये ये कदम स्वागत योग्य है | आम जनता के लिये अगर सचिन क्रिकेट का भगवान हैं तो वो राज्य सभा के लिये भी भगवान साबित होंगे| आम जनता के लिये ग्लैमरस क्वीन् रेखा फ़िल्मी जगत की क्वीन् थीं तो वो राज्य सभा में भी क्वीन् ही रहेंगी मगर ये आम जनता है जो केवल विज्ञापन के आधार पर अपनी सोच विकसित करती है कौन सी चाकलेट खानी है, कौन सी गाड़ी चलानी है ये आम जनता नहीं आज के दौर के क्रिकेटर और फ़िल्मी सितारे तय करते हैं वो जो कहते हैं आम जनता उसी को पहनती है वो आम जनता को जो सपने दिखाते हैं आम जनता उसी को देखने लगती है मगर ये आम जनता ये नहीं जानती है की उनका वो चहेता क्रिकेटर या फ़िल्मी सितारा जिस जीवन को उसे जीने जिस सपने को उसे देखने के लिये कह रहा है या दिखा रहा है जिस सोच को वो उसे दे रहा है उसके लिए उसने भारी-भरकम धनराशि ली है ठीक उसी प्रकार जब कांग्रेस पार्टी ने अपना किला डहता पाया तो उसे बचाने के लिये ग्लैमरस क्वीन् और क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले दिगाजों को राज्यसभा के लिए नामित कर दिया है अब ये दिग्गज किस आधार पर देश की संसद की गरिमा बढ़ाएंगे ये अवश्य सोचने का विषय है इतना जरुर है की अभी तक इन्होने केवल अपने प्रोफेशन से ही प्यार किया है और उसी के लिये ये जाने भी जाते हैं देश के किसी विषय या देश से जुड़े किसी भी मसले पर आज तक तो उनकी कोई प्रतिक्रिया अभी तक न तो देखने को मिली है और न ही इन्होने किसी मुद्दे पर पहल की है| सरकार का कहना है या भारत के सपूत हैं इनका सम्मान होना चाहिए था तो हमने इनका सम्मान किया है| सचिन तेंदुलकर और रेखा जैसी हस्तियों का अवश्य सम्मान होना चाहिए जिसके लिये सरकार पुरुस्कार स्वरूप उन्हें भारत रत्न से लेकर अनेकों पुरुस्कार से समानित कर सकती थी और वही करना भी चाहिए था| लोकसभा भेजना जहाँ की पूरे देश की सुरक्षा, सामंजस्य, खाद्द्यान, विदेश नीति, वित्त, कूटनीति, कानून आदि सभी तय होते हैं वहाँ भेजकर सम्मान नहीं देश को बिना सोचे-समझे असुरक्षित हाथों में सौंपना जैसा है|

क्या जिस प्रकार सचिन क्रिकेट खेलते हैं वो टेनिस या फुटबाल खेल सकते हैं ? क्या जिस प्रकार रेखा ने अपने अभिनय से फ़िल्मी दुनियां को मदहोश किया है वो उसी प्रकार से अंतरिक्ष या इसरो में सफल हो सकती हैं ? नहीं! सरकार केवल अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिये ग्लैमर को बढ़ावा दे रही है जिससे देश को कोई फ़ायदा दीखता नजर नहीं आ रहा है ऐसे में देश का भविष्य सुरक्षित हाथों में कैसे जायेगा देश के बुद्धिजीवियों को इस पर गंभीर विचार करना होगा | भारत महान देश है और इसकी संप्रभुता बचाये रखने के लिये विशेषग्यता जरुरी है तभी हम सही कदम बढ़ा सकते हैं| 

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