मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

दीवाली यानि गरीब का दिवाला, प्रकृति का प्रदुषण से नाश व् पूंजीपतियों को गरीब को लूटने का अवसर

दीवाली यानि गरीब का दिवाला, प्रकृति का प्रदुषण से नाश व् पूंजीपतियों को गरीब को लूटने का अवसर

क्या आपने कभी सोचा है दीवाली के अवसर पर करोड़ों लीटर तेल, अरबों यूनिट बिजली की खपत, करोड़ों प्लास्टिक की लड़ियाँ, खिलौने, पटाखे, मिठाइयाँ आदि में खर्च होने वाले संसाधन से प्रकृति का कितना बड़ा नुकशान होता है ? 

        चंद उधोगपतियों द्वारा अपने उत्पादन को बेचने के लिए आये दिन नयें नयें स्वांग रच कर गरीब को लूटने की साजिश रची जाती है गरीब उनके लिए आदमी नहीं ग्राहक है जिसका उनको केवल शोषण करना है | क्या हमने कभी सोचा है हमारी जेबों से जो पैसा जाता है वो आखिर जा कहाँ रहा है ? 
        मित्रों पृथ्वी में मौजूद संसाधनों की एक निश्चित सीमा है और एक न एक दिन उनको ख़तम होना है मगर यदि हम नियम से उपभोग करें तो वो काफी लम्बे समय तक चलेंगे जिस प्रकार घड़े में भरे हुवे पानी को हम प्यास लगने पर ही पीते हैं तो वो सुबह भरकर शाम तक चल जाता है मगर यदि हम उस घड़े को एक ही बार में उलट दें और छतिग्रस्त कर दें तो वो दुबारा हमारे किसी काम नहीं आता है ठीक उसी प्रकार प्राकृतिक संसाधन भी हैं जिन्हें हमें नियम से उपभोग करना चाहिए| 
       दिनोंदिन बढ़ने वाली महंगाई के पीछे भी ये एक बहुत बड़ा कारण है त्योहारों में अनावश्यक उपभोग करने से आपूर्ति प्रभावित होती है जिस कारण महंगाई बढ़ती है | अब तैय आपको करना है उत्सव मनाकर प्रकृति का नाश मारना है या साधारण जीवन ब्यतीत करके सुरक्षित उपभोग करना है |  


बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पूर्व-न्यायाधीश होने के बावजूद लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप तैयार न करके सर्वोच्च न्यायपालिका की कर रहे हैं अवमानना|

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पूर्व-न्यायाधीश होने के बावजूद लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप तैयार न करके सर्वोच्च न्यायपालिका की कर रहे हैं अवमानना|
कांग्रेस की बहुगुणा सरकार लोकतंत्र का गला घोटकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए रच रही है साजिश?

3 सितम्बर 2013 को महामहिम राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बावजूद उत्तराखंड के लोकायुक्त को दो माह बीतने के बाद भी लोकायुक्त के अधिकार नहीं दिए हैं उन्होंने कहा उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम 2011 धारा 1 की उपधारा 2 में प्रावधान है कि यह अधिनियम राज्यपाल की मंजूरी मिलने के 180 दिनों में लागू हो जाएगा। वहीँ धारा 4(1) में प्रावधान है कि इस अधिनियम के प्रारम्भ के तुरंत बाद राज्य सरकार एक अधिसूचना जारी कर लोकायुक्त संस्था का गठन करेगी जो सरकार के प्रशासनिक, वित्तीय और कामकाजी नियंत्रण से स्वतंत्र रहते हुए कार्य करेगी। प्रदेश की लोकशाही ने महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दो माह पूर्व हस्ताक्षर होने के बावजूद फ़ाइल को दबा के रखा जो कि उत्तराखंड सरकार और लोकशाही की पोल खोलता है अब जब इसका खुलाशा हो चुका है तो प्रदेश की बहुगुणा सरकार उत्तराखंड के लोकायुक्त को मौजूदा कानून के अधिकार न सौंप कर बिल के मौजूदा स्वरूप को ही सिरे से नकार रही है और कांग्रेस की केंद्र सरकार द्वारा जनभावनाओं के विरुद्ध बनाये गए जोकपाल बिल को लागू करने की बात कर रही है|     
     उत्तराखंड में 3 सितम्बर2013 को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित लोकायुक्त बिल ही लागू माना जायेगा और यदि प्रदेश सरकार लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप के अधिकार उत्तराखंड के लोकायुक्त को नहीं देती है तो प्रदेश सरकार को पुन: विधानसभा सत्र बुलाना पड़ेगा और पूर्ण बहुमत से मौजूदा लोकायुक्त बिल को नकारना पड़ेगा और जोकपाल बिल को पूर्ण बहुमत से पारित करवाना पड़ेगा और पुन: महामहिम को भेजना होगाजिस तरह प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार के नेतामंत्री व् मुख्यमंत्री मौजूदा लोकायुक्त बिल के स्वरूप को नकार रहे हैं उससे तो यही लगता है कि इन लोगों ने किसी विधि विशेषज्ञ की राय नहीं ली और माननीय मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा खुलकर लोकतंत्र की धजियाँ उड़ा रहे हैं |
     कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार भूल गयी है कि मौजूदा लोकायुक्त कानून के अधिकार लोकायुक्त को न देकर वो जनता के साथ कितना बढ़ा छलावा कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है जिसका जवाब कांग्रेस पार्टी को जनता आने वाले आम चुनाव में देगी|

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

सुनकर अच्छा लगा किसी भारतीय ने भी अंग्रेजों को लूटा 30 खरब रूपए का सोना महल में दफ़न....

सुनकर अच्छा लगा किसी भारतीय ने भी अंग्रेजों को लूटा, डोंडीयाखेड़ा (उन्नाव) के राजा रामबख्स सिंह ने मरने से पहले अंग्रेजों से भारत से लूटे हुवे सोने को लूट कर दफ़न कर दिया ऐसा दावा किया जा रहा है, जिसमें लगभग 1000 टन (1 हज़ार टन) सोना आज भी वहां दफ़न होने का दावा साधू शोभन सरकार ने किया है | अगर एएसआई को सफलता मिलती है तो भारत के खजाने में 30 खरब रुपये का सोना जमा हो जाएगा | फिर से भ्रष्टाचारी नेताओं और लोकसेवकों की मौज के खुलेंगे द्वार |

10 Gram Sona = Rs. 30,000/- (तीस हज़ार)
100 Gram Sona = Rs. 3,00,000/-(तीन लाख) 
1 Kg. Sona = Rs. 30,00,000/-(तीस लाख)
10 Kg. Sona = Rs. 3,00,00,000/-(तीन करोड़)
100 Kg. Sona = Rs. 30,00,00,000/-(तीस करोड़)
1 tan = 1000 Kg. Sona = Rs. 3,00,00,00,000/-(तीन अरब)
10 tan = 10,000 Kg. Sona = Rs. 30,00,00,00,000/-(तीस अरब)
100 Tan = 1,00,000/- Kg. Sona = 3,00,00,00,00,000/-(तीन खरब)
1000 Tan = 10,00,000/- Kg. Sona = 30,00,00,00,00,000/-(तीस खरब रुपये )|

भारत सरकार के खजान्ची से मेरा निवेदन है सबसे पहले विदेशी कर्जा चुकता कर दो... 
बाकी जनता में बाँट दो वो अपना विकास खुद ही कर लेंगे | तुम्हारे पास रहेगा तो बेचारी जनता फिर ठगी जाती रहेगी|

फोटो पहचान पत्र (Voter ID Card) ऑनलाइन भी बना सकते हैं|


प्यारे देशवासियों उत्तराखंड में पंचायत चुनाव दिसम्बर में होने हैं जिसकी अधिसूचना जारी हो चुकी है साथ ही लोकसभा के आम चुनाव भी 2014 मे होने हैं आप का यदि वोटर कार्ड नहीं बना है तो आप वोट नहीं कर पायेंगे यदि आपकी उम्र 18 साल हो चुकी है तो शीघ्र अपना फोटो पहचान पत्र (Voter ID Card) बनवा लें आप इसके लिए ऑनलाइन भी अप्लाई कर सकते हैं | मित्रों आप लोगों की जागरूकता ही सही प्रतियासी का चुनाव कर उसे जीत दिलायेगी।


आपका एक एक वोट कीमती है।

जागो मतदाता जागो .... पढ़े-लिखे समाज के वोट न देने के कारण ही भ्रष्ट लोग पंचायत,छेत्र पंचायत,जिलापंचायत,विधायक विधानसभा,लोकसभा पहुँचते हैं और फिर जनता के धन को ठिकाने लगाते हैं|

जागो मतदाता जागो अब हमारी बारी



सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

******* दिल से दिमाग तक - महापुरुष रावण *******

******* दिल से दिमाग तक - महापुरुष रावण *******

जंगल के रखवाले रावण को रक्षक से राक्षस बना डाला, 
वाह रे चाटुकार आडम्बरी लेखकों, तुमने ये क्या ग़जब कर डाला ?
बहन पर प्राण घातक हमला और दो-दो भाईयों की हत्या के बाद, 
रावण ने सीता को उठाया था, सबक सिखाने राम को, 
रावण करता था स्त्री का सम्मान, इसलिए सम्मान पूर्वक रखा रावण ने सीता को, 
उसी महापुरुष रावण को खलनायक (राक्षस) और राम को भगवान् बना डाला|
वाह रे चाटुकार आडम्बरी लेखकों, तुमने ये क्या ग़जब कर डाला ?

*************दिल से दिमाग तक - ईद ***********


*************दिल से दिमाग तक ***********

भार्गव चन्दोला जीव प्राणी भैंस के साथ: प्रकृति के ये बेजुबान पशु
हमें दूध, घी, मक्खन के साथ-साथ खेतों के लिए प्राकृतिक खाद
देते हैं, इनको सम्मान पूर्वक और सुरक्षित रखें | 

अगले तीन दिन धर्म के नाम पर दुनिया भर के मुसलमान बेजुबान जानबरों के क़त्ल के कारोबार में लग जायेंगे एक दूसरे को ईद मुबारक कहेंगे और ख़ुशी से फूले नहीं समायेंगे | बात समझ से परे है आखिर लोग दूसरे की हत्या करके कैसे खुशी मना सकते हैं ? बात फिर से वैज्ञानिक युग की करूँगा आखिर मानव क्यों काल्पनिक कथाओं के आधार पर जीवन चक्र का नाश पीटने पर लगा है | प्रकृति की देन मानव जिसको प्रकृति ने सोचने हेतु दिमाग और अमल करने के लिए हाथ पांव दिए ताकि वो प्रकृति और अन्य प्राणी जीवन के बीच संतुलन बना सके प्रत्येक प्राणी की रक्षा के लिए योजना बनाकर अमल कर सके | मगर मानव ने प्रकृति का दोहन अपने अनुसार करके सम्पूर्ण जीवन चक्र को ही बिगाड़ दिया है| उम्मीद करता हूँ वैज्ञानिक सोच का इस्तमाल करेंगे और बेजुबान जानबरों की हत्या करने से परहेज करोगे | 

विचार करें जिन जानबरों की निर्मम हत्या इन्शान रूपी हत्यारे करते हैं अगर उनमें कोई एसी वैज्ञानिक तबदीली आ गई जिससे वो मानव को अपने लिए विनाशकारी समझने लगें व् इन्शानों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझ कर इन्शानों के खात्में के लिए निकल पढ़ें तो क्या इन्शान अपनी, अपने बच्चों की निर्मम हत्या अपनी आँखों के सामने देख पायेंगे ? ऐसा संभव न हो इसका कोई प्रमाणिक आधार नहीं है इसलिए सोचो - समझो - जागो | 

कम लिखे को ज्यादा समझना मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुँचाना नहीं बल्कि इन्शान को हत्यारा बनने से रोकना है और प्रकृति को बचाना |

शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

"मुद्रा परिवर्तन = भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद, नकली नोट, कर चोरी, नशीले पदार्थों आदि का जड़ से खात्मा"

"Currency Conversion = Corruption, Terrorism, Naxalism, Fake Currency, Tax Evasion, Drug Eliminated from the root, etc."
आतंकवाद, भ्रष्टाचार, लूट, दंगे, चोरी, डकैती, रिश्वतखोरी, चेन स्नेचिग, नकली नोट, नकली सामान, देह-व्यापार, मानव तश्करी, नशीले पदार्थ, अवैध खनन, अवैध कटान, अवैध कारखाने, मिलावटखोरी, कबूतरबाजी, फिरौती, कालाबाजारी, विभागों में बिना रिश्वतखोरी के समय से काम न होना आदि-आदि से आज हर आम आदमी त्रस्त है| जिस कारण आम आदमी तनाव और खौफ के साये में जी रहा है| आये दिन बेकसूर जनता, समाजसेवियों, आर.टी.आई. कार्यकर्ताओं की हत्या, उत्पीड़न, जिन्दा जलाने जैसी घटनायें लगातार हो रही हैं आखिर जनता को अपनी जान जोखिम में डालनी ही क्यों पड़ती है? क्या लोकायुक्त में शिकायत करने वाले ब्यक्ति को जान का ख़तरा नहीं होगा ? देश-विदेश की सरकारें इस अत्याधुनिक विज्ञान युग में क्यों ऐसे कारगर कदम नहीं उठाती है कि हर आम आदमी तनाव और खौफ के साये से मुक्त होकर सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा सके?
     अगर हम केवल भारत की बात करें तो भारत सरकार क्यों ऐसे कदम नहीं उठा सकती है जिससे हर प्रकार का भ्रष्टाचार का जड़ से खात्मा हो जाये ? क्या भारत सरकार ऐसा नहीं चाहती है या कहीं सोच की कमी है?
     जहाँ तक हमें लगता है भारत आज संचार तकनीक में बहुत आगे पहुँच चुका है मगर आज भी भारत में वही घिसे-पिटे तौर-तरीकों से कार्य किये जाते हैं |
     भारत में सबसे कमजोर तबका मजदूर है भारत सरकार ने गाँव के गरीब और मजदूर के लिए महात्मा गाँधी रोजगार गारन्टी योजना चलाकर उनका दुःख दूर करने का प्रयत्न किया है जिसमें भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार योजना का भुगतान सीधे लाभार्थी के खाते में करती है |
     अब सवाल उठता है जब अंतिम ब्यक्ति तक वित्तीय सेवायें ऑनलाइन हो गई हैं फिर सरकार को नगदी के चलन को जारी रखने की क्या आवश्यकता है ? जबकि हम सभी भलीभांति से जानते हैं किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के लिए रूपए का नगद-चलन ही जिम्मेदार है फिर क्यों नहीं इसको पूर्ण रूप से बंद कर हर प्रकार के लेनदेन को ऑनलाइन कर खातों के माध्यम से किया जाता है ?
अगर भारत सरकार हर प्रकार के भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना चाहती है तो सरकार को कुछ कारगर कदम उठाने पड़ेंगे| जैसे:-
1.  भारत में सभी वित्तीय सेवायें देने वाले बैंक, सहकारी बैंक, पोस्ट ऑफिस, ट्रेजरी आदि को एक नेटवर्क में जोड़ा जाये |
2.     भारत में रूपए के नगद चलन को बंद कर केवल ऑनलाइन या डेबिट/क्रेडिट कार्ड द्वारा खाते से खाते में ही भुगतान का चलन शुरू किया जाये|
3.     भारत के प्रत्येक निवासी का केवल एक ही खाता खोला जाये|
4.     खाता खोलते समय प्रत्येक खाताधारक की सम्पति जो उसके पास है उसका पूर्ण विवरण उस खाते में अधिकारिक तौर से अंकित किया जाये |
5.   खाताधारक के पास कितना सोना, चांदी, गाड़ी, बीमा, शेयर आदि है उसका पूर्ण विवरण उस खाते में अंकित किया जाये और समस्त भविष्य के लेनदेन उसी खाते के माध्यम से किये जायें|
6.   खाताधारक द्वारा अपने समस्त लेनदेन ऑनलाइन बैंकिग या ऐ.टी.एम्. कार्ड द्वारा अपने खाते से खाते में ही किया जाये|
7.     खाताधारक द्वारा किसी भी खरीद्दारी को किये जाने के लिए केवल अपने खाते से और केवल खाते में भुगतान किया जाये|
8.     समस्त खाताधारकों को अवगत करवा दिया जाये कि उनके पास जो भी नगदी है वो उसे अपने खाते में डाल दें नगदी के बंद होते ही उनके पास बची हुई नगदी कागज के सम्मान हो जाएगी|

नगदी बंद करने से क्या होगा त्वरित लाभ ?:
1.      तीन माह से छ माह की अवधि का समय देकर नगद चलन को समाप्त कर दिए जाने के कारण सर्वप्रथम खरबों रुपये के नकली नोटों का कारोबार जड़ से समाप्त हो जायेगा|
2.      छोटे-से-छोटे एवं बड़े-से-बड़े व्यापारी की वित्तीय स्थिति की होगी पुष्टि १००% होगा कर संग्रह|
3.      रिश्वतखोरी पर लगेगी पुर्णतः रोक समय से और गुणवत्तापूर्ण होंगे कार्य|
4.      अवैध खनन-अवैध कटान पर लगेगी पुर्णतः रोक|
5.  युवा पीढ़ी को नशीले पदार्थों की आपूर्ति करने वाले माफियाओं पर लगेगी पुर्णतः रोक|
6.     घटिया सामान की खरीद्दारी पर लगेगी रोक|
7.     कालाधन एवं कालाबाजारी पर लगेगी पुर्णतः रोक|
8.     आतंकवाद, दंगे, चोरी, चेन स्नैचिग, लूट, डकैती पर लगेगी पुर्णतः रोक|
9.     नकली सामान बनाने वालों पर लगेगी पुर्णतः रोक|
10.  महंगाई पर लगेगी रोक|
11.  वित्तीय स्थिति होगी मजबूत|
12.  किसी भी प्रकार की कर चोरी पर लगेगी पुर्णतः रोक|
13.  हर आम आदमी को मिलेगा न्याय|
14.  सबका जीवन होगा खुशहाल जब आम आदमी को मिलेगा लाभ  |
15.  मुद्रा छपाई में लगने वाले कागज व् इंक का स्तमाल न होने के कारण खरबों रूपये की बचत होगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा |

भार्गव चन्दोला, 9411155139
(हिमालय बचाओ आन्दोलनकारी)
1, राजराजेश्वरी विहार, लोवर नथनपुर, देहरादून|
Email: bhargavachandola@gmail.com 
Web Site: bhargava-chandola.blogspot.com 

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बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

"2 अक्टूबर अहिंसा दिवस या काला दिवस"

2 अक्टूबर अहिंसा के मार्गदर्शक महात्मा गाँधी का जन्मदिन, पूर्व प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन हमारे लिए कितनी खुशी का दिन होना चाहिए था एक तरफ दो महान विभूतियों का जन्मदिन मगर दूसरी तरफ 2 अक्टूबर 1994 का वो काला दिन भूले नहीं भूलता है | 

आज ही के दिन 1994 में उत्तराखंड प्रदेश की मांग करने के लिए उत्तराखंड के निहत्ते भोलेभाले लोग शांतिपूर्ण ढंग से देश की राजधानी देल्ही जा रहे थे मगर उनको तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की उत्तर प्रदेश सरकार ने रामपुर तिराहे पर रोक दिया और अचानक पुलिस, पी.ऐ.सी. एवं पुलिस की वर्दी में सपाई गुंडों द्वारा उनपर गोलियों की बौछार कर दी | 
प्रत्यक्ष दर्शी बताते हैं पुलिस की गोलियों की बौछार के बाद निहत्ते लोगों में भगदड़ मच गई जिनमें महिलाएं, लड़कियां, युवा, वृद्धजन सभी मौजूद थे, वो चिलाते रहे मगर बर्बरता थी की थमने का नाम नहीं ले रही थी | सपाई गुंडों और कानून के रखवालों ने महिलाओं एवं लड़कियों की बह्शियाने तरीके से आबरू-लूट कर उनके अंगों तक को बेरहमी से काट डाला और इसके साथ-ही-साथ सम्पूर्ण उत्तराखंड में पुलिस-पी.ऐ.सी. का आम जनता पर बेरहम तांडव शुरू हो गया जहाँ भी उन्हें कोई दीखता बेरहम तरीके से मारते इतना ही नहीं पुलिस-पी.ऐ.सी. द्वारा मासूम लोगों को घरों से खींच कर बेरहम तरीके से मारा पीटा गया कुछ वाक्य श्रीनगर, पौड़ी में मैंने अपनी आखों से भी देखे हैं | 
आखिर कैसे इस काले दिवस को हम अहिंसा दिवस के रूप में मनायें ? जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री, मुलायम सिंह, डी.जी.पी., एस.एस.पी., जिलाधिकारी, तत्कालीन सपाई गुंडे, पुलिस, पी.ऐ.सी. किसी को भी कानून द्वारा न तो दोषी साबित किया गया न ही किसी को सजा दी गई| 
9 नवम्बर, 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड का गठन हुवा उम्मीद थी अब शहीदों को उनके आश्रितों को न्याय मिलेगा और दोषियों के खिलाफ उत्तराखंड सरकार कढ़ी पैरवी करवाकर सजा दिलवाएगी मगर कुर्सी पर बैठते आ रहे बेश्रम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, मंत्री सब भूल बैठे और दो अक्टूबर पर शहीदों के पुतलों पर माला चढ़ाकर फूले नहीं समाते आ रहे हैं |  
शर्म आनी चाहिए प्रमाण पत्र धारी उन लोगों को जो अपने आप को उत्तराखंड आन्दोलनकारी कहते हैं और जगह-जगह अपने लिए आरक्षण की मांग करते हैं जबकि शहीदों के हत्यारे आज भी खुलेआम घूम रहे हैं |
मेरे लिए ये दिन तब तक काला दिवस रहेगा जब तक शहीदों को न्याय नहीं मिल जाता है जब तक शहीदों के सपनों का उत्तराखंड नहीं बन जाता है |  
मैं उन सभी शहीदों को नमन करता हूँ जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान उत्तराखंड राज्य के लिए दिया और लानत भेजता हूँ उन सभी पर जो आज उन शहीदों के सपनों के उत्तराखंड को छिन-भिन्न कर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं| 

भार्गव चन्दोला
(हिमालय बचाओ आन्दोलनकारी)
1, राजराजेश्वरी विहार, लोवर नथनपुर 
देहरादून|