गुरुवार, 30 जनवरी 2014

"चोर-उच्चके और स्व:महत्वाकांक्षी लोगों के संगठनों का प्रदेश है, मेरे भारत का उत्तराखंड प्रदेश"

आज एक बात पर गौर किया तो देखा उत्तराखंड के तो सभी संगठन एक जैसे हैं ! यहाँ तो स्व:महत्वाकांक्षी गुंडे, मवालियों की फ़ौज भरी पढ़ी है, जो केवल अपने लिए ही सोचते हैं, फिर चाहे उसमें समाज का, प्रदेश का कितना भी नुकशान क्यों न हो रहा हो| 
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आप ही बतायें इनमें किस छेत्र का संगठन ऐसा है जो निर्विवाद हो ? और सामाजिक सरोकारों के लिए ब्यक्तिगत स्वार्थों को आगे न लाता हो ?
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हर तरफ़ एक से बढ़कर एक स्व:महत्वाकांक्षी लोग भरे पढ़े हैं फिर चाहे
राजनीतिक संगठन हों (कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, यूकेडी, AAP)
सांस्कृतिक संगठन हों,
प्रेस मीडिया संगठन हों,
सामाजिक संगठन हों,
कर्मचारी संगठन हों,
श्रमिक संगठन हों,
ब्यापारी संगठन हों,
शिक्षक संगठन हों,
चिकित्सा संगठन हों,
बेरोजगार संगठन हों,
महिला संगठन हों,

सैनिक संगठन, 
अर्द्सैनिक संगठन, 
यूवा संगठन हों,
अल्पसंख्यक संगठन हों,
सर्व-समाज संगठन हों ?
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सबके अन्दर तो गुटबाजी कूट-कूट के भरी पढ़ी है | कोई ऐसा संगठन बता दो जिसमें चोर-उचक्के स्व:महत्वाकांक्षी लोग न हों और उन्होंने प्रदेश को गर्त में ले जाने में अपनी भूमिका न निभाई हो ?
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मोटी बुद्द्धि और भूषा भरे भेजे में आखिर ये बात कब आएगी ? कि प्रदेश का सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब हम ब्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को त्याग कर, टांग खिंचाई न कर पूरी मेहनत से, ईमानदारी से प्रदेश के लिए कार्य करें |