शनिवार, 14 सितंबर 2013

मानवता से बढ़ कर कोई धर्म नहीं है


मानवता से बढ़ कर कोई धर्म नहीं है 

मित्रों चंद राजनीतिक और धार्मिक आडम्बरी अपना स्व:हित साधने के लिए दो लोगों के आपसी झगड़े को धार्मिक रंग देने का काम करते हैं और लोगों को आपस में लड़वाते-मरवाते हैं | इतिहास गवाह है इससे केवल उनका ही भला होता है व् इसकी भेंट केवल मासूम लोग,बच्चे,महिलाएं व् जानवर होते हैं यही आजकल मुजफरनगर में भी हो रहा है जिसकी आग धीरे-धीरे आस पास के छेत्रों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने का काम राजनीतिक पार्टी, मीडिया और धार्मिक आडम्बरी कर रहे हैं... आपको तै करें आपको मानव बन कर जीवन जीना है या आडम्बरी बन कर मासूमों का उत्पीड़न करना और करवाना है....


धर्म और जाती तब तक जिन्दा है जब तक मानव स्वस्थ है| बीमार पढ़ने पर हिंदु हो या मुसलमान, सिख हो या इसाई, ब्राह्मण हो या ठाकुर या कोई अन्य जाती तब उसे केवल मानव धर्म याद आता है तब उसे व उसके तीमारदारों को केवल उस ब्लड ग्रुप के खून की याद आती है जो उसके प्राण बचा सकता है|

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