शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

"हवस पैसे की हो या शरीर की दोनों ही एक दिन खुद को खा जाते हैं"


"हवस पैसे की हो या शरीर की दोनों ही एक दिन खुद को खा जाते हैं"


डी.एस.पी. साहब की बेटी सुधा पटवाल जी को आखिर किस चीज की कमी हो सकती थी मगर ये हवस ही थी जो उनको सभ्य प्राणी होने के पथ से भटका गई डी.एस.पी. साहब ने बहुत पहले ही उनसे सारे रिश्ते ख़तम कर दिये थे आखिर क्या बीती होगी उस बाप के दिल पर बेटी से रिश्ता ख़तम करते हुवे और क्या बीती होगी जब उस बाप ने सुना होगा उसकी बेटी अब एक हत्या के आरोप में जेल जा चुकी है... स्वर्गीय युधवीर भाई को भी ये हवस ही मौत के मुह में ले गई विधायक मंत्रीयों के साथ रहकर ऊँचे ऊँचे सपने देखना और उनको पूरा करने के लिए रास्तों से भटकना न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए विनाश की गाथा लिख जाता है... मंत्री हरक सिंह रावत जी के बारे में क्या कहना जिस चिकित्सा शिक्षा का जिम्मा उनके पास है उसमें दलाली के ये डाक्टर जनता के लिए वरदान साबित होंगे या जल्लाद ये खुली आँखों से हर कोई समझ लेना चाहिए... ऊपर से मंत्री जी का कहना की सी.बी.आई. जांच की कोई जरुरत नहीं है ... दाल में काला न होकर दाल ही काली होने की पुष्टि करता है... महान हैं मंत्री जी और महान है मंत्री जी को विधानसभा भेजने वाली जनता.... मैं तो इतना कहूँगा मित्रों विलाशिता की चाहत ही घर के विनाश का कारण बनती है... हवस छोड़ें और जीवन को जीवन की तरह जियें हवस वो माया है जो कभी पुरी नहीं हो सकती है जितना ईमानदारी से सही रास्ते पर चलकर कमा सकते हो उसमें खुश रहें... तो न सिर्फ आपका बल्कि आपके अपनों का जीवन और सम्मान सुरक्षित रहेगा बल्कि आप से जुड़ा समस्त मानव जीवन और ये प्रक्रति भी सुरक्षित होगी|

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