सोमवार, 28 जुलाई 2014

मोलवी जी प्रकृति को बचाने के लिए करो फ़तवा जारी

क्या किसी धर्म में एसी शक्ति है जो "ग्राउंड वाटर लेवल" को ऊपर ले आये और उसे "पीने लायक" बना दे ....? गागर में जितना पानी होगा उतना ही प्रयोग कर सकते हो उसके बाद ? 
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सभी प्रकृति प्रेमियों को "ईद मुबारक" काश इस अवसर पर मस्जिद के मौलवी प्रत्येक नमाजी को एक पेड़ लगाने का फ़तवा जारी करते और खुद भी एक पेड़ लगा लेते तो सभी को प्रकृति की सुरक्षा का महत्व भी समझ आता और समाज में एक अच्छा सन्देश भी जाता....

रविवार, 27 जुलाई 2014

जनता को दंगो में धकेलकर धर्म के ठेकेदार मौज में

जो लोग शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, बिजली, पानी, दुराचार, भ्रष्टाचार जैसे ज्वलंतशील मुद्दों को छोड़ मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि धार्मिक विषयों, स्थलों-भवनों के लिए लड़ रहे हैं, वो सभी निर्पट मूर्ख हैं और धर्म के ठेकेदारों के हाथों की कठपुतली बनकर अपने ही हाथों अपने देश को विनाश की ओर धकेल रहे हैं, एसा करने से न उनका खुद का भला होगा, न विपक्षी का, भला होगा तो केवल धर्म के ठेकेदारों का, सोचो जरा आज आपके गाँव में सरकारी स्कूल की जो खस्ता हालत है !क्या वही हालत आपके गाँव के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि धार्मिक स्थल या उसके संचालकों की भी है ? अगर नहीं तो सोच बदलो और आपसी सोहार्द से देश बचाओ...

सवा करोड़ मुर्दों को स्वयं जागना होगा

इतिहास गवाह है उत्तराखंड में नेता हो, ब्यूरोक्रेट्स हो या कोई आम कर्मचारी सबसे ज्यादा विवादित, भ्रष्ट, रिश्वतखोर, चरित्रहीन को इस प्रदेश में सबसे ऊँचे और मलाई दार जगह (यानि जहाँ सबसे अधिक रिश्वत मिले) से नवाजा गया है | फिर भी सवा करोड़ जनता मूकदर्शक बनी हुई है, कुछ एक हम जैसे पागल बढ़-बढ़ाते रहते हैं, मगर उससे कुछ नहीं हो सकता, सवा करोड़ मुर्दों को स्वयं जागना होगा, तभी इस प्रदेश को पटरी पर लाया जा सकता है, नहीं तो कुछ हज़ार लोग दीमक की तरह इस प्रदेश को चट कर जायेंगे और जब डकार लेंगे तब तक बहुत देर हो चुकी होगी |

सोमवार, 21 जुलाई 2014

सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता में त्वरित सुधार का एकमात्र विकल्प


राज्य सरकार या केंद्र सरकार सरकारी शिक्षा में अगर सच में सुधार करना चाहती है तो सभी सरकारी लोकसेवकों, अधिकारीयों, कर्मचारियों एवं मानदेय लेनेवाले जनप्रतिनिधियों को उनके नौनिहालों को अपने तैनाती स्थल के नजदीकी सरकारी स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य करे, मैं दावे से कह सकता हूँ एक महीने के भीतर सरकारी शिक्षा में सुधार के परिणाम देखने को मिलेंगे इतना ही नहीं एसा करने से पहाड़ों से एवं देहातों से शहरों की तरफ हो रहे पलायन पर भी रोक लगेगी | 

वर्ना शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी, मुख्यमंत्री हरीश रावत, मानव संसाधन मंत्री #Smriti Zubin Irani, पी.एम्. #Narendra Modi ji चाहे जितना जोर लगा लें, चाहे जितनी योजनायें लागू कर लें, सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता नहीं सुधर सकती है, इतना ही नहीं मध्याहन भोजन की गुणवत्ता भी तभी सुधर सकती है जब उसी भोजन को सरकारी कर्मचारी, लोकसेवक भी खाएं नहीं तो कीड़े मकोड़े मिलने की ख़बरें तो आये दिन मिलती रहेंगी |

केवल उत्तराखंड राज्य की बात करें तो उत्तराखंड में जनता के करों से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को हर साल 50 अरब रूपये वेतन के रूप में प्रतिवर्ष दिया जा रहा है, मगर नौनिहालों को फिर भी गुणकारी एवं उपयोगी शिक्षा नहीं मिल पा रही है, सरकारी स्कूली शिक्षा लगभग मृत होने के कारण अभिभावक अपने नौनिहालों को निजी स्कूलों में पढ़ाने को मजबूर हैं, निजी स्कूलों द्वारा पग-पग पर छात्रों एवं अभिभावकों का मानसिक,शारीरिक एवं आर्थिक उत्पीड़न किया जाता है | सरकार की रमसा, सर्वशिक्षा, मध्याहन भोजन, पी.पी.पी. माडल आदि सभी योजनायें मात्र ठेकेदारी प्रथा को जन्म देकर कुछ लोगों की जेबें गर्म करने का साधन मात्र बन रही हैं | अगर त्वरित रूप से राज्य सरकार ने सरकारी शिक्षा में सुधार करते हुए सभी सरकारी लोकसेवकों, अधिकारीयों, कर्मचारियों एवं मानदेय लेनेवाले जनप्रतिनिधियों को उनके नौनिहालों को अपने तैनाती स्थल के नजदीकी सरकारी स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य नहीं किया तो आने वाले समय में इसके भयावह परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं| 

गुरुवार, 17 जुलाई 2014

बिटिया के जन्मदिन के अवसर पर हर साल की तरह आज भी बिटिया से करवाया वृक्षारोपण

आज मेरी बेटी सुदीक्षा 10 वर्ष पुरे कर 11वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, 17 जुलाई 2004 को मेरे घर में एक नन्हीं परी ने जन्म लिया देखते देखते कब 10 वर्ष बीत गए कुछ पता भी न चला, हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बिटिया ने फलदार वृक्ष लगाकर जन्मदिन को याद किया, चार साल पहले 2010 में हमने पहली बार संकल्प लिया था कि हर वर्ष बिटिया के जन्मदिन के अवसर पर अन्य किसी आयोजन के बजाये वृक्षारोपण करेंगे तब से निरंतर ये शिलशिला चला आ रहा है, आज वृक्षारोपण और पूर्व में लगाये गए कुछ वृक्षों जो कि अब बिटिया की तरह ही बढ़ रहे हैं के फोटोग्राफ आपके साथ इस आशा के साथ साझा कर रहा हूँ, ताकि समाज के ज्यादा से ज्यादा लोग अपने बच्चों का जन्मदिन फलदार वृक्ष लगाकर करें जिससे प्रकृति और पर्यावरण सुरक्षित रहे और हम इन्सानों के साथ-साथ पशु-पक्षिओं को भी शुद्ध हवा, भोजन, पानी भरपूर मात्रा में मिल सके|
सधन्यवाद सहित आपका,
भार्गव चन्दोला (हिमालय बचाओ आन्दोलनकारी)