सोमवार, 14 सितंबर 2015

आज हिंदी दिवस 14 सितम्बर है: क्या हम हिंदी भाषा के माध्यम से चिकित्सा, शिक्षा, तकनीकी और विज्ञान सभी क्षेत्रों में शोध से लेकर इन्वेंट तक सबकुछ हिंदी भाषा के माध्यम से कर सकते हैं ?

आज हिंदी दिवस है तमाम विश्वभर में फैले हिंदी प्रेमियों को हार्दिक बधाई, दोस्तों आखिर हम तब ही क्यों जागते हैं जब कोई वस्तु, भाषा या प्राणी मृत प्राय: होने लगते हैं? जब भारत वर्ष में बाग़ 100 दो सौ बच गए तब उन्हें बचाने के लिए "सेव टाइगर अभियान" शुरू किया गया, वही हाल पर्यावरण, गंगा, ग्लेशियर, बेटी, हाथी, बचपन, भ्रूर्ण आदि का भी है, आज हिंदी के साथ भी यही हो रहा है, ऐसे में मुझे एक फ़िल्मी डायलोग याद आ रहा है जिसमें शायद हीरो कहता है "जाओ पहले उसके हस्ताक्षर ले कर आओ जिसने मेरे माथे पर चोर लिखा" |
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हिंदी और हिन्दुस्तानियों को लेकर मुझे दो बातें समझ आ रही हैं कि आज विश्वभर में हिन्दुस्तानी जितना भी परचम लहरा रहे हैं और करोड़ों लोग आर्थिक रूप से मजबूत धनवान अप्रवासी भारतीय बने हुए हैं वो सब तो अंग्रेजियत की बदौलत ही है यानि अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में महारत हाशिल करने से ही उनके लिए ऐसा सम्भव हुवा है |
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दूसरी तरफ अगर आज हम हिंदी भाषा के माध्यम से चिकित्सा, शिक्षा, तकनीकी और विज्ञान सभी क्षेत्रों में शोध से लेकर इन्वेंट तक सबकुछ हिंदी भाषा के माध्यम से कर सकते हैं और आज हमें हिंदी भाषा को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलवानी है, तो हमें केवल ऊपरी स्तर पर नहीं बल्कि बुनियाद से लेकर ऊपरी स्तर तक हिंदी की अनिवार्यता को लागू करना होगा और ये तभी संभव है जब भारत के सभी निजी एवं सरकारी स्कूल, कालेज, चिकित्सा, तकनीकी, विज्ञान एवं वाणिज्य शिक्षण एवं शोध संस्थान आदि सभी में अध्यन अंग्रेजी माध्यम के बजाये हिंदी माध्यम से करवाया जाए |
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इसमें ये भी देखने की आवश्यकता है कि जो बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से पढ़े हैं या पढ़ रहे हैं उनके उनके भविष्य पर इन बदलाओं का कोई विपरीत प्रभाव न पढ़े |
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‪#‎जय_हिन्द‬
‪#‎गर्व_से_कहो_हम_भारतीय_उत्तराखंडी_हैं‬
@Bhargava Chandola - भार्गव चन्दोला

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