मुख्यमंत्री विजय
बहुगुणा पूर्व-न्यायाधीश होने के बावजूद लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप तैयार न करके सर्वोच्च
न्यायपालिका की कर रहे हैं अवमानना|
कांग्रेस
की बहुगुणा सरकार लोकतंत्र का गला घोटकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए रच रही है
साजिश?
मुख्यमंत्री विजय
बहुगुणा पूर्व-न्यायाधीश होने के बावजूद लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप तैयार न करके सर्वोच्च
न्यायपालिका की कर रहे हैं अवमानना|
कांग्रेस
की बहुगुणा सरकार लोकतंत्र का गला घोटकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए रच रही है
साजिश?
3 सितम्बर 2013 को महामहिम
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बावजूद उत्तराखंड
के लोकायुक्त को दो माह बीतने के बाद भी लोकायुक्त के अधिकार नहीं दिए हैं | उन्होंने कहा उत्तराखंड
लोकायुक्त अधिनियम 2011 धारा 1 की उपधारा 2 में प्रावधान है कि यह अधिनियम राज्यपाल की मंजूरी मिलने के 180 दिनों
में लागू हो जाएगा। वहीँ धारा 4(1)
में प्रावधान है कि इस अधिनियम के प्रारम्भ के तुरंत बाद राज्य सरकार एक
अधिसूचना जारी कर लोकायुक्त संस्था का गठन करेगी जो सरकार के प्रशासनिक, वित्तीय और कामकाजी नियंत्रण से स्वतंत्र रहते हुए कार्य करेगी। प्रदेश
की लोकशाही ने महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दो माह पूर्व हस्ताक्षर होने के बावजूद
फ़ाइल को दबा के रखा जो कि उत्तराखंड सरकार और लोकशाही की पोल खोलता है अब जब इसका
खुलाशा हो चुका है तो प्रदेश की बहुगुणा सरकार उत्तराखंड के लोकायुक्त को मौजूदा
कानून के अधिकार न सौंप कर बिल के मौजूदा स्वरूप को ही सिरे से नकार रही है और
कांग्रेस की केंद्र सरकार द्वारा जनभावनाओं के विरुद्ध बनाये गए जोकपाल बिल को
लागू करने की बात कर रही है|
उत्तराखंड में 3 सितम्बर, 2013 को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित लोकायुक्त बिल ही लागू माना जायेगा और यदि प्रदेश सरकार लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप के अधिकार उत्तराखंड के लोकायुक्त को नहीं देती है तो प्रदेश सरकार को पुन: विधानसभा सत्र बुलाना पड़ेगा और पूर्ण बहुमत से मौजूदा लोकायुक्त बिल को नकारना पड़ेगा और जोकपाल बिल को पूर्ण बहुमत से पारित करवाना पड़ेगा और पुन: महामहिम को भेजना होगा| जिस तरह प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार के नेता, मंत्री व् मुख्यमंत्री मौजूदा लोकायुक्त बिल के स्वरूप को नकार रहे हैं उससे तो यही लगता है कि इन लोगों ने किसी विधि विशेषज्ञ की राय नहीं ली और माननीय मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा खुलकर लोकतंत्र की धजियाँ उड़ा रहे हैं |
उत्तराखंड में 3 सितम्बर, 2013 को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित लोकायुक्त बिल ही लागू माना जायेगा और यदि प्रदेश सरकार लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप के अधिकार उत्तराखंड के लोकायुक्त को नहीं देती है तो प्रदेश सरकार को पुन: विधानसभा सत्र बुलाना पड़ेगा और पूर्ण बहुमत से मौजूदा लोकायुक्त बिल को नकारना पड़ेगा और जोकपाल बिल को पूर्ण बहुमत से पारित करवाना पड़ेगा और पुन: महामहिम को भेजना होगा| जिस तरह प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार के नेता, मंत्री व् मुख्यमंत्री मौजूदा लोकायुक्त बिल के स्वरूप को नकार रहे हैं उससे तो यही लगता है कि इन लोगों ने किसी विधि विशेषज्ञ की राय नहीं ली और माननीय मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा खुलकर लोकतंत्र की धजियाँ उड़ा रहे हैं |
कांग्रेस की
विजय बहुगुणा सरकार भूल गयी है कि मौजूदा
लोकायुक्त कानून के अधिकार लोकायुक्त को न देकर वो जनता के साथ कितना बढ़ा छलावा
कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है जिसका जवाब कांग्रेस पार्टी को जनता आने वाले आम
चुनाव में देगी|
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