सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

*************दिल से दिमाग तक - ईद ***********


*************दिल से दिमाग तक ***********

भार्गव चन्दोला जीव प्राणी भैंस के साथ: प्रकृति के ये बेजुबान पशु
हमें दूध, घी, मक्खन के साथ-साथ खेतों के लिए प्राकृतिक खाद
देते हैं, इनको सम्मान पूर्वक और सुरक्षित रखें | 

अगले तीन दिन धर्म के नाम पर दुनिया भर के मुसलमान बेजुबान जानबरों के क़त्ल के कारोबार में लग जायेंगे एक दूसरे को ईद मुबारक कहेंगे और ख़ुशी से फूले नहीं समायेंगे | बात समझ से परे है आखिर लोग दूसरे की हत्या करके कैसे खुशी मना सकते हैं ? बात फिर से वैज्ञानिक युग की करूँगा आखिर मानव क्यों काल्पनिक कथाओं के आधार पर जीवन चक्र का नाश पीटने पर लगा है | प्रकृति की देन मानव जिसको प्रकृति ने सोचने हेतु दिमाग और अमल करने के लिए हाथ पांव दिए ताकि वो प्रकृति और अन्य प्राणी जीवन के बीच संतुलन बना सके प्रत्येक प्राणी की रक्षा के लिए योजना बनाकर अमल कर सके | मगर मानव ने प्रकृति का दोहन अपने अनुसार करके सम्पूर्ण जीवन चक्र को ही बिगाड़ दिया है| उम्मीद करता हूँ वैज्ञानिक सोच का इस्तमाल करेंगे और बेजुबान जानबरों की हत्या करने से परहेज करोगे | 

विचार करें जिन जानबरों की निर्मम हत्या इन्शान रूपी हत्यारे करते हैं अगर उनमें कोई एसी वैज्ञानिक तबदीली आ गई जिससे वो मानव को अपने लिए विनाशकारी समझने लगें व् इन्शानों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझ कर इन्शानों के खात्में के लिए निकल पढ़ें तो क्या इन्शान अपनी, अपने बच्चों की निर्मम हत्या अपनी आँखों के सामने देख पायेंगे ? ऐसा संभव न हो इसका कोई प्रमाणिक आधार नहीं है इसलिए सोचो - समझो - जागो | 

कम लिखे को ज्यादा समझना मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुँचाना नहीं बल्कि इन्शान को हत्यारा बनने से रोकना है और प्रकृति को बचाना |

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