शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

जिन्दा रहा तो आज से ठीक 10 वर्ष बाद हाफ सेंचुरी वर्ष में प्रवेश करूँगा,

आज गोरों से कालों को शासन की सपुर्दगी का 68वां दिवस है, मैं आज 40वें वर्ष में प्रवेश कर चुका हूँ, जिन्दा रहा तो आज से ठीक 10 वर्ष बाद इसी दिन अर्द शतकवें वर्ष में प्रवेश करूँगा, देश की जनता इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाती है| जब भी मैं इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में देखता हूँ तो मेरे मन में कई सवाल खड़े हो जाते हैं ? जब आज भी भारत की जनता को मूलभूत सुविधाएँ नहीं मिल पायी हैं, जब आज भी आम जनता के घरों में चूल्हा नहीं जल रहा है, जब आज भी घरों में छत नहीं है, जब आज भी घरों में गुसलखाने नहीं हैं, जब आज भी समान शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जब आज भी माताओं/बहनों की आबरू सुरक्षित नहीं है, जब आज भी आम आदमी सुरक्षित नहीं है, जब आज भी आम आदमी को समान चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है, जब आज भी पीड़ित को न्याय नहीं मिल रहा है, जब आज भी भ्रूण हत्या हो रही है, जब आज भी दहेज़ हत्या हो रही है, जब आज भी श्रमिक का शोषण हो रहा है, जब आज भी माफ़िया, आतंकवाद, रिश्वतखोरी, नक्सलवाद, मिलावटखोरी, अवैध खनन आदि जोर शोर से हो रहा है, जब आज भी न्याय नहीं मिल रहा है, जब आज भी जाती भेद, धर्म भेद हो रहा है, जब आज भी सरकारी (जनता के करों से वेतन लेने वाला) सेवक जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है, फिर कैसी आज़ादी ? पूर्ण बहुमत वाली केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री #Narendra Modi जी के भाषण भी सुनें उनके भाषणों में भी देश के प्रति चिंता नजर आई मगर क्या वो चिंता भाषणी थी या उनमें संवेदन्शीलता थी ? ये  तो आने वाला समय बताएगा ? बेहतर होता आज नरेंद्र मोदी जी के भाषणों में ये पंक्तियाँ भी जुड़ जाती कि स्वतंत्रता दिवस के दिन हर परिवार कम से कम एक फलदार वृक्ष अवश्य लगाये, भले ही वो किसी उत्सव में शामिल हो या न हो तो ये कदम इस प्रकृति और इसमें निवास करने वाले प्राणी जीवन के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता था| बहरहाल सभी जन्मदिन की बधाई सन्देश देने वाले साथियों का हार्दिक आभार साथियों आप कई मौकों पर मुझसे नाराज होते होंगे की मेरे पोस्ट ज्यादातर आलोचनात्मक क्यों होते हैं ? साथियों इसका मैं केवल इतना जवाब देना चाहता हूँ, मैं भी इस समाज का हिस्सा हूँ और मैं केवल समाज में सबको सम्मान, सबको सुरक्षा, सबको न्याय, सबको समान आधिकार  चाहता हूँ, प्रकृति, मानव एवं पशु पक्षियों की सुरक्षा चाहता हूँ, इससे ज्यादा कुछ नहीं | 
अंत में आप सभी का पुनः स्नेह सहित धन्यवाद, 
भार्गव चन्दोला 






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