बुधवार, 18 दिसंबर 2013

"खुशहाल भारत के निर्माण" के लिए राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं को तोड़ना होगा "चक्रब्यूह"

साथियों आपने अक्सर देखा होगा राजनीतिक पार्टी के नेतागण चुनाव नजदीक आते ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर चुनाव प्रचार-प्रसार में जुटने के लिए बढ़-चढ़ कर आव्हान करते हैं और कार्यकर्ताओं के कमरतोड़ मेहनत के बलबूते जीत के बाद उनके नेतागण उन्हीं कार्यकर्ताओं उनके छेत्र की समस्याओं को दूर करना छोड़ अपनी और अपने करीबियों की तिजोरियां भरने के कार्य करने लगते हैं | मैं पूछना चाहता हूँ ? उन सभी राजनीतिक नेतागणों से जब पार्टी के आम कार्यकर्ताओं को ही आप से आपकी सरकार से कोई लाभ नहीं मिलता है तो आपके कार्यकर्त्ता आखिर एकजुट रहें ही क्यों ? जो कार्यकर्त्ता अपनी समस्याओं का समाधान नहीं करवा सकते हों अपने छेत्र की जनता की समस्याओं को कैसे दूर करवायेंगे ? और जब ऐसा नहीं होगा तो उन कार्यकर्ताओं की समाज में कैसे विश्वसनीयता बनेगी ? 
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मेरा भारत की आम जनता भारत के सभी राजनीतिक पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं से कहना है साथियों आपको चाहिए आप अपनी राजनीतिक पार्टी के चक्रब्यूह को तोड़ें एवं एसी पार्टी एवं ब्यक्ति को मतदान एवं समर्थन करें जो सारे समाज के विकास की सोच रखते हों जो सारे समाज सारे भारत के भ्रष्टाचार मुक्त खुशहाल भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हों| साथियों जब सबकी समस्या दूर होंगी तो राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता जो इसी समाज का हिस्सा हैं उनकी समस्या अपने आप दूर हो जायेंगी | साथियों खुद से पहले समाज के लिए कार्य करें तभी हम सही समाज का निर्माण व खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं |
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श्री अन्ना जी के आन्दोलन और राजनीतिक पार्टी बनाकर श्री अरविंद केजरीवाल के नेर्तुत्व में "आप" की परवर्तन की लड़ाई ने जनता की जागरूकता से "कांग्रेस का दिल्ली से सूपड़ा साफ़" कर देश को दिलवाया सरकारी लोकपाल | अब देश से सूपड़ा साफ़ कर देश की जनता को मिलेगा "मजबूत जन-लोकपाल जिसमें सी.बी.आई. होगी लोकपाल के अधीन", सिटिजन चार्टर, राइट टू रिजेक्ट, राइट टू रिकाल, ह्विसल ब्लोवर एवं ग्राम स्वराज, मोहल्ला स्वराज तब होगा असली "खुशहाल भारत निर्माण" |

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