रविवार, 27 अप्रैल 2014

स्वदेशी और विदेशी चिकित्सा के नाम पर देश की जनता में जहर घोलती भाजपा

रात आयुर्वेद के पूर्व उप-निदेशक डा. विनोद बहुगुणा "सामंत" जी के घर देवी रोड़ कोटद्वार में रुके लम्बी चर्चा में डा विनोद बहुगुणा जी ने बताया आयुष के नाम पर बी.जे.पी. सरकार जनता को धोका दे रही है, चिकित्सा शास्त्र में आधारहीन सैधांतिक विवेध के बावजूद कथित आयुर्वेद और कथित एलोपैथी को प्रतिद्वंदी बनाकर देश की श्रमजीवी आम जनता को संविधान प्रदत आधारभूत वैज्ञानिक चिकित्सा सुविधाओं से वंचित कर सांस्कृतिक संवर्धन की आड़ में वोट ध्रुविकरण का सडयंत्र करती आ रही है | जबकि आवश्यकता इस बात की है कि एक ही चिकित्सा शास्त्र के प्राचीन एवं आधुनिक विज्ञानं को समाहित कर अखिल भारतीय स्तर पर एक सर्वस्वीकार्य एंव धरातल पर जनउपयोगी चिकित्सा पाठ्यक्रम तैयार किया जाये | उल्लेखनीय है कि आज़ादी के बाद यह व्यवस्था लागू की गई थी जिसे राजनीतिक लाभ के लिए स्वदेशी विदेशी का जहर फैलाकर बंद कर दिया गया | जबकि चैम्बर के अंग्रेजी शब्द कोष में एलोपैथी का अर्थ निम्न प्रकार से परिभाषित है "THE CURRENT OR ORTHODOX MEDICAL PRACTICE, DISTINGUISHED FROM HOMEOPATHY यानि होमियोपैथी से भिन्न वर्तमान एवं पुरातन/पारंपरिक चिकित्सा कर्म का नाम ही एलोपैथी है"|
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संभवतः इसी पीड़ा के कारण डा. विनोद बहुगुणा "सामंत" ने ये पंक्तिया उस दौरान लिखी होंगी
आज मेरे गाँव में गो-गंगा धाम में, संविधान बिक रहा "निशंक" की दुकान में
यहाँ वहां हर कहीं संजीवनी का शोर है, विश्वगुरु प्रान्त में सुल्तान घूसखोर है,
विकास ढोल-पोल यहाँ, भ्रष्ट हाकिम जिन है,
ग्राम स्वास्थ्य दुर्दशा पर, आम आदमी खंडूड़ी से भी खिन्न है
कोशियारी उद्द्विग्न है सत्ता के शुरुर में,
इंद्र देव टून है, आडवाणी गंगा स्पर्श नयाँ महाकुम्भ है,
लूट की नईं योजना गडकरी की मति पर
सारा सूबा सन्न है,
जनआक्रोश प्रचंड है

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

PLEASE DONATE/VOTE/SUPPORT FOR SAVE UTTARAKHAND, SAVE INDIA

प्यारे देशवाशियों एवं प्रवासियों, आपदा से घायल उत्तराखंड जो पुरे देश का पानी, पर्यावरण संतुलन का श्रोत है में व्यवस्था परिवर्तन का आन्दोलन चल रहा है लोग भाई अरविंद केजरीवाल द्वारा चलाई गई इस मुहिम के साथ बढ़ी आशा के साथ जुड़ रहे हैं मगर आर्थिक रूप से कमजोर उत्तराखंड में संसाधनों का भारी अकाल है, भोगोलिक रूप से अत्यधिक चुनौतीपूर्ण और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण आम जन तक पहुँचने के लिए प्रतियाशियों के पास न तो कार्यकर्त्ता हैं और न संसाधन, 4-4 सौ किलोमीटर क्षेत्र में फैली लोकसभा में कार्य करना अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है और उत्तराखंड के प्रतियाशियों को अब तक चंदा भी न के बराबर मिला है | इस मुहिम में जहाँ भाई अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ आप कन्धा-से कन्धा मिला कर चल रहे हैं आप से निवेदन है भाई अरविंद के साथ ही उनके साथियों को भी सहयोग करें |
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आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड से जो प्रतियाशी हैं वो न केवल योग्य हैं अपितु कर्मठ भी हैं, मगर आपके सहयोग के बिना अधूरे हैं अत: आप से निवेदन हैं आप बढ़-चढ़ कर इन योग्य प्रतियाशियों को चंदा व समय देकर इन्हें मजबूत करने में सहयोग करें और उत्तराखंड से मजबूत और योग्य प्रतियाशी संसद में भेजें ताकि उत्तराखंड में जल, जंगल, जमीन, पलायन, रोजगार, सुरक्षा की आवाज संसद में मजबूती से उठाई जा सके |
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421 Uttarakhand Almora Harish Chandra Arya अब तक प्राप्त 8 हज़ार
http://myaap.in/donate4almora
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422 Uttarakhand Garhwal Dr. Rakesh Singh अब तक प्राप्त 60 हज़ार
http://myaap.in/donate4garhwal
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423 Uttarakhand Hardwar Kanchan ChoudharyBhattacharya अब तक प्राप्त 12 लाख
http://myaap.in/donate4hardwar
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424 Uttarakhand Nainital Balli Singh Cheema अब तक प्राप्त 50 हज़ार
http://myaap.in/donate4nainital
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425 Uttarakhand Tehri Garhwal Anoop Nautiyal अब तक प्राप्त 11 लाख
http://myaap.in/donate4tehrigarhwal
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PLEASE DONATE/VOTE/SUPPORT FOR SAVE UTTARAKHAND, SAVE INDIA
JOIN AAP FOR CHANGE THE POLITICAL SYSTEM,
JOIN AAP FOR SWARAJ,
JOIN AAP FOR GOOD GOVERNANCE,
JOIN AAP FOR GOOD HEALTH FACILITIES,
JOIN AAP FOR GOOD EDUCATION,
JOIN AAP FOR GOOD ENVIRONMENT,
JOIN AAP FOR GOOD ECONOMY,
JOIN AAP FOR CLEAN INDIA,
JOIN AAP FOR WOMAN SAFETY,
JOIN AAP FOR CHILD SAFETY,
JOIN AAP FOR FARMER SAFETY,
JOIN AAP FOR CITIZEN RESPECT.
JOIN AAP FOR SAVE INDIA.
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7 मई को “झाड़ू” के चुनाव-चिन के सामने वाला बटन दबायें|
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कृपया बढ़-चढ़ कर चंदा दें, समर्थन करें, वोट कर राजनीतिक गंदगी साफ़ करके स्वच्छ भारत का निर्माण करें|
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बदलेगा उत्तराखंड, बदलेगा भारत

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं ?

अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं ? 
कोयले की खान लिखूं या मनमोहन बेईमान लिखूं ? 
पप्पू पर जोक लिखूं या गुंडाराज मुलायम लिखूं ? 
सी.बी.आई. बदनाम लिखूं या जस्टिस गांगुली महान लिखूं ? 
शीला की विदाई लिखूं या लालू की रिहाई लिखूं ? 
'रामदेव’ की रामलीला लिखूं या भाजपा का प्यार लिखूं ? 
भ्रष्टतम् सरकार लिखूँ या प्रशासन बेकार लिखू ? 
महँगाई की मार लिखूं या गरीबों का बुरा हाल लिखू ? 
भूखा इंसान लिखूं या बिकता ईमान लिखूं ?
आत्महत्या करता किसान लिखूँ या शीश कटे जवान लिखूं ?
विधवा का विलाप लिखूँ, या अबला की चीत्कार लिखू ?
दिग्गी का 'टंच माल' लिखूं या करप्शन विकराल लिखूँ ?
अजन्मी बिटिया मारी जाती लिखू, या सयानी बिटिया ताड़ी जाती लिखू?
दहेज हत्या, शोषण, बलात्कार लिखूं या टूटे हुए घरोदों का हाल लिखूँ ?
गद्दारों के हाथों में तलवार लिखूं या हो रहा भारत निर्माण लिखूँ ?
जाति और सूबों में बंटा देश लिखूं या बीस दलो की लंगड़ी सरकार लिखूँ ?
नेताओं का महंगा आहार लिखूं या 5 रुपये की भरपेट थाल लिखूं ?
अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं ?
खेलने का मन करता है तो - कलमाडी याद आ जाता है.
पढ़ने का मन करता है तो - आरक्षण याद आ जाता है.
रोने का दिल करता है तो - सोनिया का बटला हाउस वाला आँसू याद आ जाता है.
सोचता हूँ की पागल हो जाऊं तो - दिग्विजय सिंह याद आ जाता है.
सोचता हूँ की मुहं बंद रखूं तो - मनमोहन सिंह याद आ जाता है.
सोचता हूँ की लोगों की सेवा करूँ तो - झूठे सपने दिखाने वाला "अरविंद केजरीवाल" याद आ जाता है.
सोचता हूँ कि कांग्रेस को भूल जाऊं - तो माँ भारती का जख़्म याद आ जाता है,
सोचता हूँ तो आशा कि किरण "लाल बहादुर शाश्त्री" याद आ जाते हैं,
"भारत माता की जय"
वंदेमातरम्, जय हिंद - जय भारत