रविवार, 4 अक्तूबर 2015

माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड हरीश रावत जी के नाम खुला-पत्र

सेवा में,                                                                            दिनांक: 5-10-15 
       माननीय हरीश रावत जी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड सरकार

विषय: उत्तराखंड प्रदेश के शहरी, सरकारी एवं गांवों में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे निरंकुश अपराध, नशाखोरी, छेड़खानी, रैस-ड्राविंग, भ्रष्टाचार और चेन-स्नेचिंग पर आधुनिक संचार तकनीक का स्तमाल कर रोक लगाने के सम्बन्ध में |

माननीय महोदय,
       महोदय प्रदेश में अपराध, भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न व अनियंत्रित ट्रैफिक जैसी समस्या लगातार बढ़ रही हैं जिस कारण आम जनता घर हो या बाहर कहीं भी सुरक्षित नहीं है| अत: महोदय आप से युद्ध स्तर पर निम्न मांग को जल्द से जल्द पूरा करने का आग्रह है:
·      उत्तराखंड में अपराध, भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न, अनियंत्रित ट्रैफिक की समस्या चरम पर है, इस पर अंकुश लगाने के लिए राज्य की अंतर्राज्य एवं अंतराष्ट्रीय सीमा, राज्य के सभी थाना, चौकी, ग्रामसभा कार्यालय, छेत्र पंचायत कार्यालय, जिला पंचायत कार्यालय, पटवारी चौकी, डी.एम्. कार्यालय, सी.डी.ओ. कार्यालय, सचिवालय, विधानसभा, सभी सरकारी एवं निजी स्कूल/कालेज, सरकारी कार्यालयों एवं राज्य के सभी शहरों एवं ग्राम के वार्डों के चौक-चौराहों में स्पीड रडार के साथ सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाये जायें और सभी आने जाने वालों पर कंट्रोल रूम बनाकर नजर रखी जाए| किसी भी तरह की अवैध गतिविधि जैसे गलत दिशा में ड्राइव, तेज गति से गाड़ी चलाना, स्टंटबाजी, बिना हेलमेट ड्राइव, मानक से ज्यादा सवारी, छेड़खानी, मारपीट, चेन स्नेचिंग, चोरी, शोषण आदि का संदेह होने पर त्वरित जवाबदेही के साथ कार्यवाही की जाए, किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने से रोका जाए और गलत व्यक्ति का बिना भेद-भाव के चालान काट कर जुर्माना वसूल किया जाए |
·      महोदय सरकारी कर्मचारीयों से काम तब लिया जा सकता है जब वो अपने कार्यस्थल पर मौजूद रहें सड़क तब अच्छी बनेगी जब इंजिनियर साईट पर मौजूद हो, शिक्षक अच्छी शिक्षा तब देंगे जब वो क्लास में मौजूद हों, डाक्टर अच्छा ईलाज तब करेंगे जब वो अस्पताल में अपने कमरे में मौजूद हों मगर जब कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर ही मौजूद नहीं होते हैं तो कार्य कैसे होंगे ? महोदय इस समस्या के समाधान के लिए सभी सरकारी कर्मचारियों की प्रतिमाह प्रतिदिन की मोबाईल लोकेशन की सूचना जांच कर वेतन बिल में भरनी सुनिश्चित की जाए और जिस कर्मचारी की  मोबाईल लोकेशन कार्यस्थल पर मौजूद न मिले उसका वेतन काट दिया जाए तभी सरकारी कर्मचारी अपनी जिमेदारी पूर्ण करेंगे|
·      महोदय शुक्रवार हाफ, शनिवार साफ़, रविवार छुट्टी सोमवार माफ़ और जब कार्यलय में आये तो 11 बजे बैठकर 1 बजे लंच और उसके बाद छुट्टी जैसी सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली से आप भलीभांति वाकिफ़ हैं इस पर रोक के लिए सभी सरकारी विभागों/स्कूल/कालेज आदि में आने-जाने के समय को दर्ज करने के लिए बायोमेट्रिक हस्ताक्षर उपकरण लगाये जायें और बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही कर्मचारियों को वेतन दिया जाए |
·      कर्मचारी/अधिकारीयों के अलग से केबिन की प्रथा बंद कर बड़े-बड़े हाल बनाकर एक साथ हाल में कार्य करने के लिए व्यवस्था की जाए, जिससे शोषण, अपराध, रिश्वतखोरी व कामचोरी पर रोक लगे|

महोदय आशा है प्रदेश की सवा करोड़ की आम जनता की सुरक्षा और भ्रष्टाचार मुक्त शासन आपके लिए सर्वोपरि होगा और उपरोक्त विषय को पूरा करने में आप किसी भी प्रकार की कोताही नहीं होने देंगे धन्यवाद |

भार्गव चन्दोला
1, राजराजेश्वरी विहार, लोवर नथनपुर, देहरादून-248001, संपर्क न. 9411155139, email: bhargavachandola@gmail.com

मंगलवार, 15 सितंबर 2015

हा हा हा हा हा हा हा हा "गरीबी हटाओ"

अंग्रेजों से भारत देश के आजाद होने के बाद
कांग्रेस ने नारा दिया "गरीबी हटाओ" तो सभी कांग्रेस नेताओं की गरीबी हट गई,
सपा ने नारा दिया "गरीबी हटाओ" तो सभी सपा नेताओं की गरीबी हट गई,
बसपा ने नारा दिया "गरीबी हटाओ" तो सभी बसपा नेताओं की गरीबी हट गई,
आम आदमी पार्टी ने नारा दिया "गरीबी हटाओ" आजकल "आप" नेताओं की जम कर गरीबी हट रही है.
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जनता से वोट पाकर जब उसी जनता में से एक भोले इन्सान ने पूछा अरे भाई तुमने तो हमारी गरीबी हटाने का वादा किया था और तुम सब अपनी अपनी गरीबी हटाकर हमें भूल गए तो "कांग्रेस, सपा, बसपा, आप" के ठग नेता उस भोले इन्शान को देख कर ठहाके लगाने लगे...
हा हा हा हा हा हा हा हा "गरीबी हटाओ"
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इधर केंद्र में भाजपा सरकार ने नारा दिया "महंगाई हटाओ" अब भाजपा नेता महंगाई हटाते हुए देश के गरीबों की गरीबी हटाते हैं या अपनी ये देखने वाली बात है... ?
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#जय_हिन्द
#गर्व_से_कहो_हम_भारतीय_उत्तराखंडी_हैं
@Bhargava Chandola - भार्गव चन्दोला​

सोमवार, 14 सितंबर 2015

आज हिंदी दिवस 14 सितम्बर है: क्या हम हिंदी भाषा के माध्यम से चिकित्सा, शिक्षा, तकनीकी और विज्ञान सभी क्षेत्रों में शोध से लेकर इन्वेंट तक सबकुछ हिंदी भाषा के माध्यम से कर सकते हैं ?

आज हिंदी दिवस है तमाम विश्वभर में फैले हिंदी प्रेमियों को हार्दिक बधाई, दोस्तों आखिर हम तब ही क्यों जागते हैं जब कोई वस्तु, भाषा या प्राणी मृत प्राय: होने लगते हैं? जब भारत वर्ष में बाग़ 100 दो सौ बच गए तब उन्हें बचाने के लिए "सेव टाइगर अभियान" शुरू किया गया, वही हाल पर्यावरण, गंगा, ग्लेशियर, बेटी, हाथी, बचपन, भ्रूर्ण आदि का भी है, आज हिंदी के साथ भी यही हो रहा है, ऐसे में मुझे एक फ़िल्मी डायलोग याद आ रहा है जिसमें शायद हीरो कहता है "जाओ पहले उसके हस्ताक्षर ले कर आओ जिसने मेरे माथे पर चोर लिखा" |
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हिंदी और हिन्दुस्तानियों को लेकर मुझे दो बातें समझ आ रही हैं कि आज विश्वभर में हिन्दुस्तानी जितना भी परचम लहरा रहे हैं और करोड़ों लोग आर्थिक रूप से मजबूत धनवान अप्रवासी भारतीय बने हुए हैं वो सब तो अंग्रेजियत की बदौलत ही है यानि अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में महारत हाशिल करने से ही उनके लिए ऐसा सम्भव हुवा है |
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दूसरी तरफ अगर आज हम हिंदी भाषा के माध्यम से चिकित्सा, शिक्षा, तकनीकी और विज्ञान सभी क्षेत्रों में शोध से लेकर इन्वेंट तक सबकुछ हिंदी भाषा के माध्यम से कर सकते हैं और आज हमें हिंदी भाषा को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलवानी है, तो हमें केवल ऊपरी स्तर पर नहीं बल्कि बुनियाद से लेकर ऊपरी स्तर तक हिंदी की अनिवार्यता को लागू करना होगा और ये तभी संभव है जब भारत के सभी निजी एवं सरकारी स्कूल, कालेज, चिकित्सा, तकनीकी, विज्ञान एवं वाणिज्य शिक्षण एवं शोध संस्थान आदि सभी में अध्यन अंग्रेजी माध्यम के बजाये हिंदी माध्यम से करवाया जाए |
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इसमें ये भी देखने की आवश्यकता है कि जो बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से पढ़े हैं या पढ़ रहे हैं उनके उनके भविष्य पर इन बदलाओं का कोई विपरीत प्रभाव न पढ़े |
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‪#‎जय_हिन्द‬
‪#‎गर्व_से_कहो_हम_भारतीय_उत्तराखंडी_हैं‬
@Bhargava Chandola - भार्गव चन्दोला

रविवार, 13 सितंबर 2015

आखिर लोकतंत्र जनता के लिए है या जनता के करों से वेतन/भत्ते लेने वाले कर्मचारियों के लिए ?

वैसे तो देश भर का यही हाल है मगर यदि केवल उत्तराखंड की बात करें तो उत्तराखंड में सरकारी वेतन/भत्ते लेने वाले कर्मी वेतन-भत्ते और अन्य मांगों को लेकर आये दिन हड़ताल पर रहते हैं और सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों की सांठ-गांठ के कारण इनकी मांगे पूरी भी हो जाती हैं, मगर राजस्व घाटा से लेकर जानमाल तक खामियाजा आम जनता को भुगतना पढ़ता है, वक्त आ गया है कि इस विषय पर चर्चा हो आखिर लोकतंत्र जनता के लिए है या जनता के करों से वेतन/भत्ते लेने वाले कर्मचारियों के लिए ? वक्त आ गया है कर्मचारियों की जायज/नाजायज मांगों को लेकर होने वाली हड़तालों पर त्वरित रोक लगाई जाए और तमाम कर्मचारी संगठनों की मान्यता रद्द कर प्रदेश में केवल एक ही कर्मचारी संगठन को मान्यता दी जाए | कर्मचारी संगठन की किसी भी प्रकार की मांग को पूरा किया जाय या नहीं उसके लिए जनता से हर पांच साल में एक बार मतदान करवाया जाए और 80% मत यदि मांग पूरी करने के पक्ष में पढ़ते है तभी मांग पूरी की जाए वर्ना ख़ारिज की जाए | तभी प्रदेश और प्रदेश की जनता का विकास हो सकता है और यही विकल्प अन्य राज्यों और केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी अपनाया जाए |
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वर्ना यही देखने को मिलता रहेगा नर्सें हड़ताल पर, शिक्षक हड़ताल पर, डाक्टर हड़ताल पर, पटवारी हड़ताल पर, ग्राम विकास अधिकारी हड़ताल पर, आशा कार्यकर्ती हड़ताल पर, भोजनमाता हड़ताल पर, शिक्षा मित्र हड़ताल पर, नरेगा कर्मी हड़ताल पर, राजस्व अमीन हड़ताल पर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ती हड़ताल पर, सचिवालय कर्मी हड़ताल पर,  जल-संस्थान कर्मी हड़ताल पर, बिजली कर्मी हड़ताल पर, सफ़ाई कर्मी हड़ताल पर, फार्मेसिष्ट हड़ताल पर, बैंक कर्मी हड़ताल पर, जंगलात कर्मी हड़ताल पर, उपनल कर्मी हड़ताल पर, युवा कल्याण कर्मी हड़ताल पर ऐसा कोई कर्मचारी संगठन है जो पिछले 15 सालों में हड़ताल पर न गया हो ? जिसने स्व:हित के लिए नहीं प्रदेश की जनता और प्रदेश हित के लिए हड़ताल की हो ?
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#जय_हिन्द
#गर्व_से_कहो_हम_भारतीय_उत्तराखंडी_हैं
Bhargava Chandola - भार्गव चन्दोला​

गुरुवार, 10 सितंबर 2015

उत्तराखंड में "ट्रांसफर एक्ट" लागू न होने के दो अति-मुख्य कारण

प्यारे साथियों अगर सच में उत्तराखंड से प्यार है तो
एक लाइक
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कमेन्ट और शेयर अवश्य करें और
माननीय मुख्यमंत्री हरीश रावत जी का ध्यान इस विषय पर ले जाने और
ट्रांसफर एक्टलागू करवाने का संकल्प तक इस पोस्ट को अपनी वाल पर शेयर करें अपने दोस्तों को टैग करें...  
उत्तराखंड में "ट्रांसफर एक्ट" लागू न होने के दो मुख्य कारण
 

1. अरबों रूपये की दलाली करने वाले नेतागण
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पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्त्ता, अधिकारी और बाबू जो किसी प्रकार का श्रम न करने के बावजूद धनवान हो रहे हैं और विलासिता का जीवन जी रहे हैं... अगर ट्रांसफर एक्ट लागू हो गया तो सवा करोड़ की जनता को समय पर शिक्षा, चिकित्सा, स्वरोजगार, बिजली, पानी, सड़क, स्वच्छता आदि मिलेगी और बेमान नक्कारे लोगों को मेहनत करके खाना होगा |
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2. अगर
ट्रांसफर एक्टलागू हो गया तो सालों से सुगम अति-सुगम स्थानों में बैठे मंत्री/विधायक/नेता/अधिकारी/बाबु/सामाजिक कार्यकर्त्ता/पत्रकार आदि की बेटी, बेटा, पत्नी, पति, दामाद, भांजा, भतीजा, घरवाली, बाहरवाली, जीजा, साली आदि सभी को अनिवार्य रूप से ट्रांसफर होकर दुर्गम स्थानों में सेवा देनी होगी और सालों से दुर्गम परिस्थिति में कार्य करने वालों को न्याय मिलेगा और जनता को गुणवत्तायुक्त सेवाएं |
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मित्रों सवा करोड़ की जनता आज चंद लोगों की करनी का फल भुगत रही है... कहो हरदा से भ्रष्टचारियों के सिर पर नहीं जनता के सिर पर हाथ रखने से बनेंगे असली धरती पुत्र इसलिए शीघ्र
ट्रांसफर एक्टलागू करें...
#जय_हिन्द
 
#गर्व_से_कहो_हम_भारतीय_उत्तराखंडी_हैं 
@Bhargava Chandola

हड़ताली प्रदेश उत्तराखंड: कर्मचारियों के लिए नहीं जनता के लिए है लोकतंत्र

कर्मचारियों के लिए नहीं जनता के लिए है लोकतंत्र उत्तराखंड के सवा दो लाख कर्मचारियों के कारण पूरे प्रदेश की सवा करोड़ जनता त्रस्त है, जनता के द्वारा चुन कर भेजे गए सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि भी जनता की नहीं इन कर्मचारियों की ही भाषा बोलते है... समय आ गया है उच्च न्यायालय उत्तराखंड के तमाम सरकारी खजाने से वेतन/भत्ते लेने वालों पर अगले 15 साल किसी भी प्रकार का धरना-प्रदर्शन, हड़ताल आदि पर पूर्णत: रोक लगाये और जो उलंघन करे उसे त्वरित बर्खास्त किया जाये... तभी इस प्रदेश का विकास हो सकता है और जनता को लाभ...

मंगलवार, 8 सितंबर 2015

आज 9 सितम्बर यानि "हिमालय दिवस" है आपको बधाई भी कैसे दूँ..?

हमें जीवन को सुरक्षित रखना है तो हमें हिमालय को सुरक्षित रखना होगा
दोस्तों हिमालय बचाने और हिमालय बसाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे, एक तरफ ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय के अस्तित्व पर ख़तरा मंडरा रहा है वहीँ हिमालयी राज्यों में तैनात भ्रष्ट सरकारों के भ्रष्ट नेता, भ्रष्ट अधिकारी, भ्रष्ट बाबू, भ्रष्ट इंजिनियर, भ्रष्ट ठेकेदार, भू-माफ़िया, खनन माफ़िया, बन-माफ़िया, भ्रष्ट प्रधान, भ्रष्ट ग्राम विकास अधिकारी, भ्रष्ट फोरेस्ट्र अधिकारी और भ्रष्ट सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी हिमालय को कम ख़तरा नहीं है, ये वो लोग हैं जिनके कारण हिमालयी क्षेत्र की परिधि में विस्फोटकों के इस्तमाल से अनियोजित और घटिया निर्माण कार्य होते हैं, जिस कारण बार-बार निर्माण सामग्री की आवश्यकता होती है और बार बार खनन होता है, वृक्षों का रोपण जमीन पर कम कागजों में ज्यादा होता है जिसे हर वर्ष दावाग्नि की आग में दफ़न कर दिया जाता है, योजनाओं का लाभ ग्रामवासियों की जगह ग्राम-प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी की भ्रष्ट जोड़ी अपनी तिजोरियां भरने में लेती है जिस कारण ग्रामवासी पलायन को मजबूर होते हैं, दोस्तों हिमालय को तंदुरुस्त रखने के लिए इन लोगों को सुधरना होगा और अपने कार्यों में निष्ठा और पारदर्शिता लानी होगी, तभी हिमालय दिवस का दिन हमारे लिए सुखमय और आनंदमई होगा|
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‪#‎जय_हिन्द‬
‪#‎गर्व_से_कहो_हम_भारतीय_उत्तराखंडी_हैं‬ 
Bhargava Chandola