बुधवार, 18 दिसंबर 2013

"खुशहाल भारत के निर्माण" के लिए राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं को तोड़ना होगा "चक्रब्यूह"

साथियों आपने अक्सर देखा होगा राजनीतिक पार्टी के नेतागण चुनाव नजदीक आते ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर चुनाव प्रचार-प्रसार में जुटने के लिए बढ़-चढ़ कर आव्हान करते हैं और कार्यकर्ताओं के कमरतोड़ मेहनत के बलबूते जीत के बाद उनके नेतागण उन्हीं कार्यकर्ताओं उनके छेत्र की समस्याओं को दूर करना छोड़ अपनी और अपने करीबियों की तिजोरियां भरने के कार्य करने लगते हैं | मैं पूछना चाहता हूँ ? उन सभी राजनीतिक नेतागणों से जब पार्टी के आम कार्यकर्ताओं को ही आप से आपकी सरकार से कोई लाभ नहीं मिलता है तो आपके कार्यकर्त्ता आखिर एकजुट रहें ही क्यों ? जो कार्यकर्त्ता अपनी समस्याओं का समाधान नहीं करवा सकते हों अपने छेत्र की जनता की समस्याओं को कैसे दूर करवायेंगे ? और जब ऐसा नहीं होगा तो उन कार्यकर्ताओं की समाज में कैसे विश्वसनीयता बनेगी ? 
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मेरा भारत की आम जनता भारत के सभी राजनीतिक पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं से कहना है साथियों आपको चाहिए आप अपनी राजनीतिक पार्टी के चक्रब्यूह को तोड़ें एवं एसी पार्टी एवं ब्यक्ति को मतदान एवं समर्थन करें जो सारे समाज के विकास की सोच रखते हों जो सारे समाज सारे भारत के भ्रष्टाचार मुक्त खुशहाल भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हों| साथियों जब सबकी समस्या दूर होंगी तो राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता जो इसी समाज का हिस्सा हैं उनकी समस्या अपने आप दूर हो जायेंगी | साथियों खुद से पहले समाज के लिए कार्य करें तभी हम सही समाज का निर्माण व खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं |
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श्री अन्ना जी के आन्दोलन और राजनीतिक पार्टी बनाकर श्री अरविंद केजरीवाल के नेर्तुत्व में "आप" की परवर्तन की लड़ाई ने जनता की जागरूकता से "कांग्रेस का दिल्ली से सूपड़ा साफ़" कर देश को दिलवाया सरकारी लोकपाल | अब देश से सूपड़ा साफ़ कर देश की जनता को मिलेगा "मजबूत जन-लोकपाल जिसमें सी.बी.आई. होगी लोकपाल के अधीन", सिटिजन चार्टर, राइट टू रिजेक्ट, राइट टू रिकाल, ह्विसल ब्लोवर एवं ग्राम स्वराज, मोहल्ला स्वराज तब होगा असली "खुशहाल भारत निर्माण" |

अमेरिका द्वारा भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े द्वारा अपनी घरेलु कर्मचारी के उत्पीड़न

अमेरिका द्वारा भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े द्वारा अपनी घरेलु कर्मचारी के उत्पीड़न पर की गई कार्यवाही ने दिखा दिया अमेरिका में कोई खास नहीं है वहां का कानून सबके लिए एक समान है मगर ये भारत के सांसदों एवं ब्यूरोक्रेसी को कौन समझाए ? भारत में तो कानून केवल आम जनता पर लागू होता है इसलिए भारत के सांसद, विधायक, ब्यूरोक्रेसी में अमेरिका के प्रति जबदस्त रोष देखने को मिल रहा है |
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काश ये रोष नौटंकीबाज लालू प्रसाद यादव के 47 करोड़ के घोटाले पर मात्र 25 लाख का जुर्माना और 1 माह में ही जमानत पर होता ?
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काश ये रोष 1 लाख 86 हजार करोड़ के कोल घोटाले के दरिंदों पर होता ?
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काश ये रोष 1 लाख 76 हज़ार करोड़ के 2 जी घोटाले के दरिंदों पर होता ?
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काश ये रोष 45 हज़ार करोड़ के कामनवेल्थ घोटाले के आरोपी कलमाड़ी जैसे भ्रष्ट के खिलाफ होता ?
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काश ये रोष भाजपाई मंत्री राघव जी द्वारा अपने घरेलु कर्मचारी के साथ कुकर्म करने पर होता ?
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काश ये रोष कर्नाटक विधानसभा में मंत्रियों द्वारा विधानसभा में प्रोन पिक्चर देखने पर होता ?
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कास ये रोष 16 दिसम्बर को अभया के साथ दरिंदो द्वारा की गई दरिंदगी पर होता ?
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काश ये रोष मोदी द्वारा आम लड़की की जासूसी करने पर होता ?
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काश ये रोष संसद में बैठे बलात्कार, भ्रष्टाचार, बलवा, गुंडागर्दी के आरोपी सांसदों पर होता ?
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काश ये रोष आम आदमी के उत्पीड़न पर होता ? तो आज भारत की ये दुर्दशा न होती....
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मगर तब इनको सांप सूंघ जाता है जब भारत के आम आदमी के साथ कोई दरिंदगी होती है फिर इनको कोई अधिकार नहीं है ये अमेरिका की आलोचना करें |

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

हाई-प्रोफाइल मीडिया "आज तक" का पांच सितारा होटल "ली-मेरिडियन" से सीधा प्रशारण एजेंडा आज तक देख लीजिये कल से अब तक...

हाई-प्रोफाइल मीडिया "आज तक" का पांच सितारा होटल "ली-मेरिडियन" से सीधा प्रशारण एजेंडा आज तक देख लीजिये कल से अब तक... 

ऐसा लग रहा है अमीरों की पार्टी चल रही हो और गरीबों (देश और देश की जनता) का ठीक उसी प्रकार मजाक उड़ाया जा रहा हो जिस प्रकार कलर्स पर कपिल अपने दर्शकों का हंसी-मजाक में उड़ाता है और वो दर्शक मजाक उड़ाए जाने पर भी खुश होते हैं. कपिल का हंशी-मजाक तो दिल खुश कर देता है. मगर इस उपहास को कैसे देखें ? 
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जितने भी बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के नेता आये हैं एक दुसरे की जितनी तारीफ़ और आपसी प्यार छलका रहे हैं... उसे देख कर लग नहीं रहा है ये दो विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधि हैं जिस प्रकार से रविशंकर अजय माकन की तारीफ़ कर रहे हैं और अजय माकन रविशंकर की उसे देखकर लग रहा है ये दोनो ही बड़े ही काबिल नेता है और इस देश के सच्चे हितेषी हैं जितने शोहर्द पूर्ण से रविशंकर जी कह रहे हैं कि "फेंकु" जैसा शब्द नहीं कहा जाना चाहिए राजनीति में मतभेद हो सकता हैं मनभेद नहीं होना चाहिए फेंकु शब्द मनभेद की उपज है, बेचारे अजय माकन तो इतना भी नहीं कह पा रहे हैं कि "पपु" क्या मनभेद की उपज नहीं है जो आप हमारे नेता को कहते हो ? अगर कह देंगे तो कहीं ऐसा न हो इतना कहने भर से ही क्लास लग गई ? 
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देख कर कहा जा सकता है बीजेपी और कांग्रेस के नेतागण देश की दुर्दशा के लिए बिलकुल भी चिंतित नहीं हैं बस किसी भी तरह से सत्ता हासिल करना चाहते हैं और सत्ता सुख भोगना चाहते हैं | 
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देश की जनता का मजाक नेतागण उड़ा रहे हैं और देश की जनता खुश है| ये सोच कर कि ये उनका अधिकार और हमारी किस्मत है.

मीडिया जगत जमीनी मुद्दों को पारदर्शिता से उठाये और अपराधियों को कढ़ी सजा दिलवा कर चौथे स्तंभ का दायित्व निभाए ताकि मीडिया जगत का सम्मान भी बचा रह सके...

अब दिल्ली में कौन जीतेंगे कौन हारेंगे इसका फैसला तो जनता ले चुकी है और 8 Disambar, को सबके सामने आ ही जायेगा |
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क्यों न अब और जमीनी मुद्दों को उठाने के काम किये जायें..

उत्तराखंड में वरिष्ठ लोकसेवक जे.पी.जोशी नौकरी दिलवाने का झाँसा देकर लड़की का यौनशोषण करने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं, 
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पत्रकार तरुण तेजपाल अपनी सहकर्मी का यौनशोषण के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं, 
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भगोड़ा बलात्कारी संत नारायण साईं भी गिरफ्तार हो चुका है,
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आशाराम जैसा दुराचारी संत बलात्कार के आरोप में जेल में है,
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पूर्व न्यायाधीस ऐ.के. गांगुली पर भी यौनशोषण का आरोप लग गया है
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. मीडिया जगत जमीनी मुद्दों को पारदर्शिता से उठाये और अपराधियों को कढ़ी सजा दिलवा कर चौथे स्तंभ का दायित्व निभाए ताकि मीडिया जगत का सम्मान भी बचा रह सके...

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लोकसेवक, पत्रकार, संत, न्यायाधीश ये सभी जिम्मेदारी वाले पद पर बैठे होते हैं, अगर ये ही सामाजिक जीवन मे ऐसे कृत्य करेंगे तो आम आदमी से क्या उम्मीद कि जा सकती है?? ये वक़्त हम सभी के लिए सोचने एवं चिंतन का है कि आखिर हम जा कहाँ रहे है ? 
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अब इन सबको इतनी जल्दी और इतनी कड़ी सजा हो ताकि फिर कोई इस प्रकार के कुकृत्य करने का ख्याल भी मन में न लाये.

शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर आप सभी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का अपराध कर रहा हूँ और यदि मैं अपराध कर रहा हूँ तो इस अपराध के लिए मैं छमा मांगता हूँ आशा है माफ़ करेंगे....

उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर आप सभी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का अपराध कर रहा हूँ और यदि मैं अपराध कर रहा हूँ तो इस अपराध के लिए मैं छमा मांगता हूँ आशा है माफ़ करेंगे....
लोग कहते हैं मैं केवल आलोचना ही करता हूँ और कमियां ही निकलता हूँ आज मैं आप पर छोड़ता हूँ आप कैसा स्थापना दिवस मनाना चाहते हैं ?  

  • मित्रों क्या जिस मूलअवधारणा के लिए उत्तराखंड बना था क्या ऐसा उत्तराखंड हमें मिला ? 
  • क्या उत्तराखंड की भाजपा,कांग्रेस,यूकेडी,बसपा,निर्दलीय सरकारों ने शहीद आन्दोलनकारियों के हत्यारों को सजा दिलवाई ? 
  • क्या उत्तराखंड के गाँव प्लायन का दंश नहीं झेल रहे हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड की सरकारी शिक्षा ब्यवस्था पूर्ण रूप से धराशाई नहीं हो गई है ? 
  • क्या प्रदेश में उत्तराखंड बनने के बाद भू-माफ़िया, शराब माफ़िया, ड्रग माफ़िया, चेन स्नेचर, गुंडाराज नहीं पनपा है ? 
  • क्या उत्तराखंड के आम लोग सड़क,बिजली,पानी,चिकित्सा,शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएँ पा चुके हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड के नेता सड़क छाप से आज करोड़पति अरब पति नहीं बन गए हैं ? 
  • क्या आज उत्तराखंड की जनता सड़क पर,घर पर, बाजार में, स्कूल कालेज में, बस में, ट्रेन में, खेत-खलियान में सुरक्षित हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड में पुलिस की अपराधियों के साथ मिलीभगत नहीं होती है ? 
  • क्या उत्तराखंड के जनप्रतिनिधि जनभावनाओं के अनुरूप ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड में लोकसेवक, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री अपनी तिजोरियां भरना छोड़ जनता के लिए कार्य कर रहे हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड के बेरोजगार रोजगार के लिए तनाव में नहीं हैं ? 
  • क्या उत्तराखंड के निजी संस्थानों में रोजगार पाए उत्तराखंड वासियों का उत्पीड़न नहीं हो रहा है ? 
  • क्या उत्तराखंड में स्थाई राजधानी का मसला हल हो चुका है ? 
  • क्या उत्तराखंड में ग्राम स्वराज लागू है ? 
  • क्या उत्तराखंड के युवा नशे की ओर बड़ी तेजी से नहीं जा रहे हैं ? ....... 

मुझे लगता है हम सभी को  उपरोक्त बातों  पर मंथन कर उसी अनुरूप स्थापना दिवस पर सोचने, समझने, विचारगोष्ठी, संवाद करने की आवश्यकता के साथ स्थापना दिवस मनाने की आवश्यकता है. 


मंगलवार, 5 नवंबर 2013

भारत में आम आदमी की जिंदगी कीड़े-मकोड़े की तरह वहीँ दूसरी तरफ़ प्रिंस चार्ल्स की सेवा में जुटा जनसेवकों का बेड़ा

आज एक मित्र के पिता को देखने महंत इन्द्रेश चिकित्सालय गया तो देख कर बढ़ी हैरानी हुई मित्र के पिता आई.सी.यू. में भर्ती हैं आई.सी.यू. और आस पास के वार्डों में मरीजों का जमघट लगा हुवा था तीमारदार दुखी परेशान इधर-उधर विचर रहे थे उनके चेहरों पर कई सारी परेशानी साफ़ पढ़ी जा सकती थी मैंने अनुमान लगाया किसी को अपने मरीज के ठीक होने की चिंता तो किसी को इलाज में खर्च होने वाले पैसे का इंतजाम करने की चिंता सता रही है | मित्र से पूछने पर पता लगा आई.सी.यू. में भर्ती और दवाइयों का एक दिन का खर्चा कम से कम दस हज़ार से ऊपर आ रहा है और पिछले पांच दिनों से उसके पिता आई.सी.यू. में भर्ती हैं| मरीज के तीमारदारों के लिए चिकित्सालय प्रबंधन ने आई.सी.यू. के बगल में एक हाल बना रखा है जहाँ तीमारदार जमीन पर अपना बिस्तर लेकर रह सकते हैं, देख कर अनुमान लगाया जा सकता है चिकित्सालय प्रबंधन मरीजों व् तीमारदारों के प्रति कितना सजग है | हैरानी इस बात की है कि जिस देश में आम आदमी को यूँ कीड़े मकोड़ों की तरह जीवन-यापन करना पढ़ रहा हो उस देश में उन्हीं के टुकड़ों पर पलने वाले जनसेवक जिस ऐशोआराम से रहते हैं वो देखने लायक है| दूसरी तरफ़ ब्रिटेन के राजघराने के प्रिंस चार्ल्स के स्वागत की तैयारी जोर-शोर से चल रही है 7 नवम्बर, 2013 को उनके देहरादून के विभिन्न जगहों पर भ्रमण के लिए आम जनता की सुरक्षा, समस्या, सेवा ताक पर रखकर सभी जनपदों से एक हज़ार पुलिसकर्मी, लोकसेवक, चिकित्सक आदि आदि का भारी-भरकम जमावड़ा उनकी सेवा में लगाने की तैयारी की जा रही है जनता के करों से एकत्रित खजाने को उन पर जमकर लुटाया जायेगा| बेचारी जनता की लाचारी देखिये उसे इलाज मिले न मिले, शिक्षा में गुणवत्ता मिले न मिले, अच्छी सड़क मिले न मिले, बिजली, पानी, सुरक्षा मिले न मिले जनसेवकों को कोई फर्क नहीं पढ़ता है | हालात ये हो गए हैं जनता के करों से एकत्र खजाने की लूट लाचार जनता को खुली आँखों सहन करना पढ़ता है | बात साफ़ है हम न तब आजाद थे न अब आज़ाद हैं आखिर कब मिलेगी आजादी? इसी उधेड़बुन के साथ| 

रविवार, 3 नवंबर 2013

जब से मैं प्रकृति के बारे में सोचने लगा तब से मुझे अनावश्यक धन की भी आवश्यकता नहीं होती है और मुझे फूहड़ता से दूर रहके अत्यंत सुखद अहसास होता है|

इस साल भी दिवाली आई शहैर व् गाँव रौशनी और जहरीले धुंवें से नहाया हुवा था | घरों में जगमगाते बल्ब, टिमटिमाती लड़ियाँ, प्लास्टिक से बने फूलों की लम्बी-लम्बी मालायें, आसमान में छूटते हवाई राकेट, हवाई पटाखे, जमीन पर बेतहाशा धुंवा छोड़ता अनार, फुलझड़ी, चारों तरफ़ लग रहा था घरों को सजाने व् पटाखे फोड़ने की प्रतियोगिता चल रही हो, रात 1 बजे तक पटाखों का शोर ही शोर |
आज दिखावे के इस दौर में किसी को ये प्रवाह नहीं होती है कि शहैर में गाँव में हजारों लाखों बीमार, बढ़े-बुजुर्ग, कोख में पल रहे बच्चे, पशु-पक्षी भी रहते हैं जो हर एक पटाखे की आवाज पर सहम कर घबरा जाते हैं कोई ये नहीं सोचता कि उनके लिए एक एक धमाका कितना पीड़ादायक होता है| कहने को हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं शिक्षित हो रहे हैं मगर वहीँ दूसरी तरफ़ हम ही इस प्रकृति के विनाश के आयोजन कर रहे हैं हमें न पर्यावरण की चिंता है और न ही किसी के दुःख-दर्द की | दीवाली से पूर्व ही कई जागरूक लोगों ने आम लोगों से निवेदन किया था कि इस पर्यावरण को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है शोर-शराबे से लोगों को पीड़ा पहुँचती है, पर्यावरण दूषित होता है इसलिये पटाखे न छुड़ाएं मगर फिर भी किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगी व् फूहड़ता इस साल भी जमकर देखने को मिली | दीवाली के मौके पर मेरे घर पर दीवाली का शोर नहीं था रोज की तरह मैंने अपनी दिनचर्या पूरी की फेसबुक, ब्लाग, ट्वीटर के माध्यम से मैंने आम जन को साधारण तरीके से खुशी मनाने के लिए निवेदन किया| मेरे घर का माहोल इस तरह बन चुका है कि आज मेरे घर वाले भी पर्यावरण के प्रति चिंतित नजर आते हैं जिससे मैंने अनुमान लगाया कि यदि माँ-बाप अपने बच्चों को प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास दिलवायें और साथ ही होली, दिवाली जैसे त्योहारों पर अपने बच्चों को खुली छूट न देकर फूहड़पन से दूर रखें तो परिणाम बेहतर आयेंगे| शुरुवात हमें खुद से ही करनी होगी | आपको बता दूँ जब से मैं प्रकृति के बारे में सोचने लगा तब से मुझे अनावश्यक धन की भी आवश्यकता नहीं होती है और मुझे फूहड़ता से दूर रहके अत्यंत सुखद अहसास होता है| फिर से कहूँगा प्रकृति है तो जीवन है इसे सुरक्षित रखें दिखावे से बचें |

कल और आज सभी मंत्री, विधायक व् अन्य जनप्रतिनिधियों के फेसबुक ट्विटर एकाउंट से दीवाली की शुभकामनाएं जरुर अपडेट होंगी | लोग उनको खूब कमेन्ट, लाइक करके बधाई भी देंगे| मगर कोई ये नहीं कहेगा हरामखोरों अपना रिपोर्ट कार्ड कब अपडेट करोगे ?

कल और आज सभी मंत्री, विधायक व् अन्य जनप्रतिनिधियों के फेसबुक ट्विटर एकाउंट से दीवाली की शुभकामनाएं जरुर अपडेट होंगी | लोग उनको खूब कमेन्ट, लाइक करके बधाई भी देंगे| मगर कोई ये नहीं कहेगा हरामखोरों अपना रिपोर्ट कार्ड कब अपडेट करोगे ? कुंडली मार के बैठे हुवे विकास निधि को कब ईमानदारी से खर्च करोगे ? इतनी महंगाई में कैसी दीवाली ? कोई ये नहीं कहेगा हमारी काहे की दीवाली दिवाली तो तुम्हारी होगी हमारा तो दिवाला है | खैर चलो जैसी तुम्हारी मर्जी कल सुना देहरादून से मसूरी नहीं दिख रहा था बादल नहीं लगे थे पठाखों के जहरीले धुवें से देहरादून और मसूरी के बीच में आसमान पर उस काले जहरीले धुंवें ने अपना कब्ज़ा कर लिया था बाकि कमि अमीरों की रिश्वतखोरी का माल बटोरे उनके बच्चे और गरीबों की मेहनत से कमाये उनके बच्चे पूरी कर देंगे अब रात्रि चर कीट-पतंगे मरें तो मरें, प्रदुषण से पर्यावरण ख़तम होता हो तो होता रहे हम तो दिवाली मनाएंगे यही भाव उनके अन्दर होगा.... तभी तो किसी को डेंगू लील रहा है, किसी को एड्स, किसी को हार्टअटैक, किसी को सूगर ऐसे ही मरोगे शालों साथ में हम भी मरेंगे.... फिर भी उत्तराखंड व् देशवासियों, किसान भाईयों-बहनों, मजदूर भाईयों-बहनों, सेना-अर्द-सेना-पुलिस-होमगार्ड- पीआरडी आदि सुरक्षा में लगे सभी भाईयों-बहनों, कर्मचारी भाईयों-बहनों, कलाकार भाईयों-बहनों, राजनीतिक भाईयों-बहनों, लोकसेवा में तैनात भाईयों-बहनों, पत्रकार भाईयों-बहनों, वैज्ञानिक भाईयों-बहनों, एवं प्यारे साथियों को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ| आओ देशवासियों संकल्प लें हम सभी देशवासी आपसी भाईचारे के साथ रहेंगे, देश के विकास के लिए ईमानदारी से कार्य करेंगे व् प्रकृति एवं प्राणी जीवन का सम्मान एवं सुरक्षा करेंगे | हैप्पी दिवाली....

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

दीवाली यानि गरीब का दिवाला, प्रकृति का प्रदुषण से नाश व् पूंजीपतियों को गरीब को लूटने का अवसर

दीवाली यानि गरीब का दिवाला, प्रकृति का प्रदुषण से नाश व् पूंजीपतियों को गरीब को लूटने का अवसर

क्या आपने कभी सोचा है दीवाली के अवसर पर करोड़ों लीटर तेल, अरबों यूनिट बिजली की खपत, करोड़ों प्लास्टिक की लड़ियाँ, खिलौने, पटाखे, मिठाइयाँ आदि में खर्च होने वाले संसाधन से प्रकृति का कितना बड़ा नुकशान होता है ? 

        चंद उधोगपतियों द्वारा अपने उत्पादन को बेचने के लिए आये दिन नयें नयें स्वांग रच कर गरीब को लूटने की साजिश रची जाती है गरीब उनके लिए आदमी नहीं ग्राहक है जिसका उनको केवल शोषण करना है | क्या हमने कभी सोचा है हमारी जेबों से जो पैसा जाता है वो आखिर जा कहाँ रहा है ? 
        मित्रों पृथ्वी में मौजूद संसाधनों की एक निश्चित सीमा है और एक न एक दिन उनको ख़तम होना है मगर यदि हम नियम से उपभोग करें तो वो काफी लम्बे समय तक चलेंगे जिस प्रकार घड़े में भरे हुवे पानी को हम प्यास लगने पर ही पीते हैं तो वो सुबह भरकर शाम तक चल जाता है मगर यदि हम उस घड़े को एक ही बार में उलट दें और छतिग्रस्त कर दें तो वो दुबारा हमारे किसी काम नहीं आता है ठीक उसी प्रकार प्राकृतिक संसाधन भी हैं जिन्हें हमें नियम से उपभोग करना चाहिए| 
       दिनोंदिन बढ़ने वाली महंगाई के पीछे भी ये एक बहुत बड़ा कारण है त्योहारों में अनावश्यक उपभोग करने से आपूर्ति प्रभावित होती है जिस कारण महंगाई बढ़ती है | अब तैय आपको करना है उत्सव मनाकर प्रकृति का नाश मारना है या साधारण जीवन ब्यतीत करके सुरक्षित उपभोग करना है |  


बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पूर्व-न्यायाधीश होने के बावजूद लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप तैयार न करके सर्वोच्च न्यायपालिका की कर रहे हैं अवमानना|

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पूर्व-न्यायाधीश होने के बावजूद लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप तैयार न करके सर्वोच्च न्यायपालिका की कर रहे हैं अवमानना|
कांग्रेस की बहुगुणा सरकार लोकतंत्र का गला घोटकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए रच रही है साजिश?

3 सितम्बर 2013 को महामहिम राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बावजूद उत्तराखंड के लोकायुक्त को दो माह बीतने के बाद भी लोकायुक्त के अधिकार नहीं दिए हैं उन्होंने कहा उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम 2011 धारा 1 की उपधारा 2 में प्रावधान है कि यह अधिनियम राज्यपाल की मंजूरी मिलने के 180 दिनों में लागू हो जाएगा। वहीँ धारा 4(1) में प्रावधान है कि इस अधिनियम के प्रारम्भ के तुरंत बाद राज्य सरकार एक अधिसूचना जारी कर लोकायुक्त संस्था का गठन करेगी जो सरकार के प्रशासनिक, वित्तीय और कामकाजी नियंत्रण से स्वतंत्र रहते हुए कार्य करेगी। प्रदेश की लोकशाही ने महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दो माह पूर्व हस्ताक्षर होने के बावजूद फ़ाइल को दबा के रखा जो कि उत्तराखंड सरकार और लोकशाही की पोल खोलता है अब जब इसका खुलाशा हो चुका है तो प्रदेश की बहुगुणा सरकार उत्तराखंड के लोकायुक्त को मौजूदा कानून के अधिकार न सौंप कर बिल के मौजूदा स्वरूप को ही सिरे से नकार रही है और कांग्रेस की केंद्र सरकार द्वारा जनभावनाओं के विरुद्ध बनाये गए जोकपाल बिल को लागू करने की बात कर रही है|     
     उत्तराखंड में 3 सितम्बर2013 को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित लोकायुक्त बिल ही लागू माना जायेगा और यदि प्रदेश सरकार लोकायुक्त का मौजूदा स्वरूप के अधिकार उत्तराखंड के लोकायुक्त को नहीं देती है तो प्रदेश सरकार को पुन: विधानसभा सत्र बुलाना पड़ेगा और पूर्ण बहुमत से मौजूदा लोकायुक्त बिल को नकारना पड़ेगा और जोकपाल बिल को पूर्ण बहुमत से पारित करवाना पड़ेगा और पुन: महामहिम को भेजना होगाजिस तरह प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार के नेतामंत्री व् मुख्यमंत्री मौजूदा लोकायुक्त बिल के स्वरूप को नकार रहे हैं उससे तो यही लगता है कि इन लोगों ने किसी विधि विशेषज्ञ की राय नहीं ली और माननीय मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा खुलकर लोकतंत्र की धजियाँ उड़ा रहे हैं |
     कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार भूल गयी है कि मौजूदा लोकायुक्त कानून के अधिकार लोकायुक्त को न देकर वो जनता के साथ कितना बढ़ा छलावा कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है जिसका जवाब कांग्रेस पार्टी को जनता आने वाले आम चुनाव में देगी|

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

सुनकर अच्छा लगा किसी भारतीय ने भी अंग्रेजों को लूटा 30 खरब रूपए का सोना महल में दफ़न....

सुनकर अच्छा लगा किसी भारतीय ने भी अंग्रेजों को लूटा, डोंडीयाखेड़ा (उन्नाव) के राजा रामबख्स सिंह ने मरने से पहले अंग्रेजों से भारत से लूटे हुवे सोने को लूट कर दफ़न कर दिया ऐसा दावा किया जा रहा है, जिसमें लगभग 1000 टन (1 हज़ार टन) सोना आज भी वहां दफ़न होने का दावा साधू शोभन सरकार ने किया है | अगर एएसआई को सफलता मिलती है तो भारत के खजाने में 30 खरब रुपये का सोना जमा हो जाएगा | फिर से भ्रष्टाचारी नेताओं और लोकसेवकों की मौज के खुलेंगे द्वार |

10 Gram Sona = Rs. 30,000/- (तीस हज़ार)
100 Gram Sona = Rs. 3,00,000/-(तीन लाख) 
1 Kg. Sona = Rs. 30,00,000/-(तीस लाख)
10 Kg. Sona = Rs. 3,00,00,000/-(तीन करोड़)
100 Kg. Sona = Rs. 30,00,00,000/-(तीस करोड़)
1 tan = 1000 Kg. Sona = Rs. 3,00,00,00,000/-(तीन अरब)
10 tan = 10,000 Kg. Sona = Rs. 30,00,00,00,000/-(तीस अरब)
100 Tan = 1,00,000/- Kg. Sona = 3,00,00,00,00,000/-(तीन खरब)
1000 Tan = 10,00,000/- Kg. Sona = 30,00,00,00,00,000/-(तीस खरब रुपये )|

भारत सरकार के खजान्ची से मेरा निवेदन है सबसे पहले विदेशी कर्जा चुकता कर दो... 
बाकी जनता में बाँट दो वो अपना विकास खुद ही कर लेंगे | तुम्हारे पास रहेगा तो बेचारी जनता फिर ठगी जाती रहेगी|

फोटो पहचान पत्र (Voter ID Card) ऑनलाइन भी बना सकते हैं|


प्यारे देशवासियों उत्तराखंड में पंचायत चुनाव दिसम्बर में होने हैं जिसकी अधिसूचना जारी हो चुकी है साथ ही लोकसभा के आम चुनाव भी 2014 मे होने हैं आप का यदि वोटर कार्ड नहीं बना है तो आप वोट नहीं कर पायेंगे यदि आपकी उम्र 18 साल हो चुकी है तो शीघ्र अपना फोटो पहचान पत्र (Voter ID Card) बनवा लें आप इसके लिए ऑनलाइन भी अप्लाई कर सकते हैं | मित्रों आप लोगों की जागरूकता ही सही प्रतियासी का चुनाव कर उसे जीत दिलायेगी।


आपका एक एक वोट कीमती है।

जागो मतदाता जागो .... पढ़े-लिखे समाज के वोट न देने के कारण ही भ्रष्ट लोग पंचायत,छेत्र पंचायत,जिलापंचायत,विधायक विधानसभा,लोकसभा पहुँचते हैं और फिर जनता के धन को ठिकाने लगाते हैं|

जागो मतदाता जागो अब हमारी बारी



सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

******* दिल से दिमाग तक - महापुरुष रावण *******

******* दिल से दिमाग तक - महापुरुष रावण *******

जंगल के रखवाले रावण को रक्षक से राक्षस बना डाला, 
वाह रे चाटुकार आडम्बरी लेखकों, तुमने ये क्या ग़जब कर डाला ?
बहन पर प्राण घातक हमला और दो-दो भाईयों की हत्या के बाद, 
रावण ने सीता को उठाया था, सबक सिखाने राम को, 
रावण करता था स्त्री का सम्मान, इसलिए सम्मान पूर्वक रखा रावण ने सीता को, 
उसी महापुरुष रावण को खलनायक (राक्षस) और राम को भगवान् बना डाला|
वाह रे चाटुकार आडम्बरी लेखकों, तुमने ये क्या ग़जब कर डाला ?

*************दिल से दिमाग तक - ईद ***********


*************दिल से दिमाग तक ***********

भार्गव चन्दोला जीव प्राणी भैंस के साथ: प्रकृति के ये बेजुबान पशु
हमें दूध, घी, मक्खन के साथ-साथ खेतों के लिए प्राकृतिक खाद
देते हैं, इनको सम्मान पूर्वक और सुरक्षित रखें | 

अगले तीन दिन धर्म के नाम पर दुनिया भर के मुसलमान बेजुबान जानबरों के क़त्ल के कारोबार में लग जायेंगे एक दूसरे को ईद मुबारक कहेंगे और ख़ुशी से फूले नहीं समायेंगे | बात समझ से परे है आखिर लोग दूसरे की हत्या करके कैसे खुशी मना सकते हैं ? बात फिर से वैज्ञानिक युग की करूँगा आखिर मानव क्यों काल्पनिक कथाओं के आधार पर जीवन चक्र का नाश पीटने पर लगा है | प्रकृति की देन मानव जिसको प्रकृति ने सोचने हेतु दिमाग और अमल करने के लिए हाथ पांव दिए ताकि वो प्रकृति और अन्य प्राणी जीवन के बीच संतुलन बना सके प्रत्येक प्राणी की रक्षा के लिए योजना बनाकर अमल कर सके | मगर मानव ने प्रकृति का दोहन अपने अनुसार करके सम्पूर्ण जीवन चक्र को ही बिगाड़ दिया है| उम्मीद करता हूँ वैज्ञानिक सोच का इस्तमाल करेंगे और बेजुबान जानबरों की हत्या करने से परहेज करोगे | 

विचार करें जिन जानबरों की निर्मम हत्या इन्शान रूपी हत्यारे करते हैं अगर उनमें कोई एसी वैज्ञानिक तबदीली आ गई जिससे वो मानव को अपने लिए विनाशकारी समझने लगें व् इन्शानों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझ कर इन्शानों के खात्में के लिए निकल पढ़ें तो क्या इन्शान अपनी, अपने बच्चों की निर्मम हत्या अपनी आँखों के सामने देख पायेंगे ? ऐसा संभव न हो इसका कोई प्रमाणिक आधार नहीं है इसलिए सोचो - समझो - जागो | 

कम लिखे को ज्यादा समझना मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुँचाना नहीं बल्कि इन्शान को हत्यारा बनने से रोकना है और प्रकृति को बचाना |

शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

"मुद्रा परिवर्तन = भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद, नकली नोट, कर चोरी, नशीले पदार्थों आदि का जड़ से खात्मा"

"Currency Conversion = Corruption, Terrorism, Naxalism, Fake Currency, Tax Evasion, Drug Eliminated from the root, etc."
आतंकवाद, भ्रष्टाचार, लूट, दंगे, चोरी, डकैती, रिश्वतखोरी, चेन स्नेचिग, नकली नोट, नकली सामान, देह-व्यापार, मानव तश्करी, नशीले पदार्थ, अवैध खनन, अवैध कटान, अवैध कारखाने, मिलावटखोरी, कबूतरबाजी, फिरौती, कालाबाजारी, विभागों में बिना रिश्वतखोरी के समय से काम न होना आदि-आदि से आज हर आम आदमी त्रस्त है| जिस कारण आम आदमी तनाव और खौफ के साये में जी रहा है| आये दिन बेकसूर जनता, समाजसेवियों, आर.टी.आई. कार्यकर्ताओं की हत्या, उत्पीड़न, जिन्दा जलाने जैसी घटनायें लगातार हो रही हैं आखिर जनता को अपनी जान जोखिम में डालनी ही क्यों पड़ती है? क्या लोकायुक्त में शिकायत करने वाले ब्यक्ति को जान का ख़तरा नहीं होगा ? देश-विदेश की सरकारें इस अत्याधुनिक विज्ञान युग में क्यों ऐसे कारगर कदम नहीं उठाती है कि हर आम आदमी तनाव और खौफ के साये से मुक्त होकर सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा सके?
     अगर हम केवल भारत की बात करें तो भारत सरकार क्यों ऐसे कदम नहीं उठा सकती है जिससे हर प्रकार का भ्रष्टाचार का जड़ से खात्मा हो जाये ? क्या भारत सरकार ऐसा नहीं चाहती है या कहीं सोच की कमी है?
     जहाँ तक हमें लगता है भारत आज संचार तकनीक में बहुत आगे पहुँच चुका है मगर आज भी भारत में वही घिसे-पिटे तौर-तरीकों से कार्य किये जाते हैं |
     भारत में सबसे कमजोर तबका मजदूर है भारत सरकार ने गाँव के गरीब और मजदूर के लिए महात्मा गाँधी रोजगार गारन्टी योजना चलाकर उनका दुःख दूर करने का प्रयत्न किया है जिसमें भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार योजना का भुगतान सीधे लाभार्थी के खाते में करती है |
     अब सवाल उठता है जब अंतिम ब्यक्ति तक वित्तीय सेवायें ऑनलाइन हो गई हैं फिर सरकार को नगदी के चलन को जारी रखने की क्या आवश्यकता है ? जबकि हम सभी भलीभांति से जानते हैं किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के लिए रूपए का नगद-चलन ही जिम्मेदार है फिर क्यों नहीं इसको पूर्ण रूप से बंद कर हर प्रकार के लेनदेन को ऑनलाइन कर खातों के माध्यम से किया जाता है ?
अगर भारत सरकार हर प्रकार के भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना चाहती है तो सरकार को कुछ कारगर कदम उठाने पड़ेंगे| जैसे:-
1.  भारत में सभी वित्तीय सेवायें देने वाले बैंक, सहकारी बैंक, पोस्ट ऑफिस, ट्रेजरी आदि को एक नेटवर्क में जोड़ा जाये |
2.     भारत में रूपए के नगद चलन को बंद कर केवल ऑनलाइन या डेबिट/क्रेडिट कार्ड द्वारा खाते से खाते में ही भुगतान का चलन शुरू किया जाये|
3.     भारत के प्रत्येक निवासी का केवल एक ही खाता खोला जाये|
4.     खाता खोलते समय प्रत्येक खाताधारक की सम्पति जो उसके पास है उसका पूर्ण विवरण उस खाते में अधिकारिक तौर से अंकित किया जाये |
5.   खाताधारक के पास कितना सोना, चांदी, गाड़ी, बीमा, शेयर आदि है उसका पूर्ण विवरण उस खाते में अंकित किया जाये और समस्त भविष्य के लेनदेन उसी खाते के माध्यम से किये जायें|
6.   खाताधारक द्वारा अपने समस्त लेनदेन ऑनलाइन बैंकिग या ऐ.टी.एम्. कार्ड द्वारा अपने खाते से खाते में ही किया जाये|
7.     खाताधारक द्वारा किसी भी खरीद्दारी को किये जाने के लिए केवल अपने खाते से और केवल खाते में भुगतान किया जाये|
8.     समस्त खाताधारकों को अवगत करवा दिया जाये कि उनके पास जो भी नगदी है वो उसे अपने खाते में डाल दें नगदी के बंद होते ही उनके पास बची हुई नगदी कागज के सम्मान हो जाएगी|

नगदी बंद करने से क्या होगा त्वरित लाभ ?:
1.      तीन माह से छ माह की अवधि का समय देकर नगद चलन को समाप्त कर दिए जाने के कारण सर्वप्रथम खरबों रुपये के नकली नोटों का कारोबार जड़ से समाप्त हो जायेगा|
2.      छोटे-से-छोटे एवं बड़े-से-बड़े व्यापारी की वित्तीय स्थिति की होगी पुष्टि १००% होगा कर संग्रह|
3.      रिश्वतखोरी पर लगेगी पुर्णतः रोक समय से और गुणवत्तापूर्ण होंगे कार्य|
4.      अवैध खनन-अवैध कटान पर लगेगी पुर्णतः रोक|
5.  युवा पीढ़ी को नशीले पदार्थों की आपूर्ति करने वाले माफियाओं पर लगेगी पुर्णतः रोक|
6.     घटिया सामान की खरीद्दारी पर लगेगी रोक|
7.     कालाधन एवं कालाबाजारी पर लगेगी पुर्णतः रोक|
8.     आतंकवाद, दंगे, चोरी, चेन स्नैचिग, लूट, डकैती पर लगेगी पुर्णतः रोक|
9.     नकली सामान बनाने वालों पर लगेगी पुर्णतः रोक|
10.  महंगाई पर लगेगी रोक|
11.  वित्तीय स्थिति होगी मजबूत|
12.  किसी भी प्रकार की कर चोरी पर लगेगी पुर्णतः रोक|
13.  हर आम आदमी को मिलेगा न्याय|
14.  सबका जीवन होगा खुशहाल जब आम आदमी को मिलेगा लाभ  |
15.  मुद्रा छपाई में लगने वाले कागज व् इंक का स्तमाल न होने के कारण खरबों रूपये की बचत होगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा |

भार्गव चन्दोला, 9411155139
(हिमालय बचाओ आन्दोलनकारी)
1, राजराजेश्वरी विहार, लोवर नथनपुर, देहरादून|
Email: bhargavachandola@gmail.com 
Web Site: bhargava-chandola.blogspot.com 

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